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This Article is From Jul 18, 2015

आसाराम के 'व्यापमं' का जाल, अब कौन-सा गवाह निशाने पर

आसाराम के 'व्यापमं' का जाल, अब कौन-सा गवाह निशाने पर
शाहजहांपुर में आसाराम का आश्रम
शाहजहांपुर से लौटकर विशेष रिपोर्ट: गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश। 4 राज्यों की पुलिस खाली हाथ है और हमलावर हैं, जो ये तय कर रहे हैं कि गवाहों में अगला नंबर किसका होगा, जिसकी जुबान खुलने का ख़तरा होता है उसे मिलती है सजा-ए-मौत। ये जाल है 'आसाराम के व्यापमं' का जो राजकोट, साबरमती, जोधपुर, पानीपत, मुजफ्फरनगर से होता हुआ अब शाहजहांपुर जा पहुंचा है।

मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले और 'आसाराम के व्यापमं' में एक समानता तो है कि दोनों ही मामलों से जुड़े लोगों की लगातार मौतें हो रही हैं। बस फर्क इतना है कि एमपी के व्यापमं घोटाले में हुईं मौतें रहस्यमय हैं जबकि आसाराम के व्यापमं में सीधी हत्या या हत्या की कोशिश। शाहजहांपुर के गधियाना इलाके में कृपाल सिंह के घर में कदम रखते ही मेरे भीतर का पत्रकार साथ छोड़ गया। दुखों का पहाड़ देख तय करना मुश्किल लगा कि इन्हें क्या समझाऊं और कैसे समझाऊं?

मोनी सिंह 4 महीने की गर्भवती हैं और उनका पांच साल का एक बेटा भी है। बीवी को पति चाहिए तो बच्चे को पिता। कृपाल सिंह की जरूरत केस से ज्यादा इस घर को थी। वहीं कृपाल सिंह आसाराम केस के अहम गवाहों में था।

लेकिन इस बात की भनक भी परिवार को नहीं लगने दी और न ही कभी ये बताया कि आसाराम के गुर्गे उसे जान से मारने की धमकियां दे रहे हैं ताकि उसके परिवार के लोग खौफ के साए में न रहें। मोनी कहती हैं हमें भी मौत चाहिए हमारा परिवार अब जिंदा रहकर क्या करेगा, फिर थोड़ा संभलकर बोलती हैं कि सरकार मुझे नौकरी दे वरना मेरे लिए घर चलाना संभव नहीं है।

10 जुलाई, 2015, रात के करीब 8 बजे होंगे। कृपाल शाहजहांपुर में आसाराम केस की पीड़ित लड़की के पिता की ट्रांसपोर्ट कंपनी से बाइक पर सवार घर वापस लौट रहा था। रास्ते में बाइक सवार लड़कों ने उनका पीछा शुरू किया और प्वाइंट ब्लैंक रेंज से पीठ पर गोली मार अंधेरे में कहीं गुम हो गए। कृपाल सिंह पर हमले की खबर शाहजहांपुर में आग की तरह फैली।

पुलिस पहले कृपाल को शाहजहांपुर के एक अस्पताल ले गई लेकिन गंभीर हालत को देखते हुए फिर बरेली के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया, पर कमर में लगी गोली मौत की वजह बन गई। 11 जुलाई की रात करीब 10:30 बजे कृपाल ने दम तोड़ दिया।

हालांकि मौत से पहले कृपाल ने जिला मजिस्ट्रेट को कलमबंद बयान दिया, जिसमें उन्होंने तीन लोगों के नाम भी बताए लेकिन पुलिस उन तीन लोगों की पहचान नहीं कर सकी है। शाहजहांपुर के एसपी बबलू कुमार का कहना है कि अभी हमें ये पता नहीं कि वे तीन लोग शाहजहांपुर के हैं या बाहर के। अब जांच कर रहे हैं और बहुत जल्दी ही घटना का अनावरण करेंगे। उनका कहना है कि कृपाल ने कभी बताया ही नहीं कि आसाराम के लोग उन्हें धमकियां दे रहे हैं। वहीं हमले के बाद पीड़ित लड़की के घर पुलिस सुरक्षा बढ़ा दी गई। पीड़ित लड़की के पिता ने कहा कि कृपाल को कई बार आसाराम के गुर्गों ने धमकियां दीं। यहां तक कि उन पर भी कई बार हमले की कोशिश हुई जबकि धमकियां तो तकरीबन रोज की ही बात है।

शाहजहांपुर शहर के बाहरी इलाके रूद्रपुर में आसाराम का आश्रम है। कृपाल सिंह की मौत के तार यहीं से जुड़ते नजर आ रहे हैं। दरअसल, कृपाल सिंह कभी आसाराम के बेहद करीबी थे वह इस आश्रम में आने वालें भक्तों और आसाराम के बीच की अहम कड़ी थे। यही वजह थी कि पहले कृपाल के कंधे पर बंदूक रखकर पीड़ित परिवार से समझौते की कोशिशें होती रहीं और जब बात नहीं बनी तो धमकियों पर उतर आए। रूद्रपुर के आश्रम की स्थापना पीड़ित लड़की के पिता ने ही करायी थी और इसके लिए उन्होंने 2 एकड़ जमीन भी दी थी हालांकि अभी आश्रम में सन्नाटा है और ताला पड़ा है। आश्रम में रहने वाले आसाराम के कई भक्त अब पुलिस थाने में हैं और आश्रम के बाहर पुलिस का पहरा है। आसपास के लोग भी आश्रम में हो रही गतिविधियों से नाराज हैं।


कृपाल सिंह पर हुए ताजा हमले से उस स्कूल के प्रिंसिपल भी सहमे से हैं जहां पीड़ित लड़की ने पांचवीं तक पढ़ाई की है। उनका कहना है कि पहले आसाराम के लोगों ने उन पर नाबालिग लड़की का फर्जी ट्रांसफर सर्टिफिकेट बनाने का दबाव डाला जिससे वे कोर्ट में पीड़ित को बालिक साबित कर सकें, लेकिन जब प्रिंसिपल ने ऐसा करने से मना कर दिया तो उनके घर कागज में लिपटा एक कारतूस और दो धमकी भरे खत भिजवा दिए गए, जिसमें लिखा था कि 8 दिन के अंदर उनकी हत्या हो जाएगी। शाहजहांपुर पुलिस ने इस मामले में दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं।

गवाहों की सुरक्षा का दावा और कृपाल की हत्या की जांच कर रही शाहजहांपुर पुलिस को लगता है कि हमलों के पीछे एक गैंग हो सकता है। बरेली रेंज के डीआईजी आरकेएस राठौर का कहना है कि हाल ही में मुजफ्फरनगर में आसाराम केस के गवाह अखिल गुप्ता और कृपाल सिंह की हत्या करने के तरीके का पैटर्न एक जैसा है।

केवल कृपाल सिंह ही नहीं बल्कि आठ और गवाह 'आसाराम के व्यापमं' के शिकार बने, जिनमें कृपाल सिंह समेत तीन गवाह अब इस दुनिया में नहीं हैं। आसाराम और उसके बेटे नारायण साईं के खिलाफ गवाहों पर हुए हमलों की फेहरिस्त बहुत लंबी है।  

13 मई 2015,पानीपत
करीब एक दशक तक आसाराम और उसके बेटे नारायण के करीबी रहे। महेंद्र चावला पर हमला रेप के आरोपी नारायण साईं के खिलाफ़ गवाही का नतीजा था। बाइक पर सवार 2 हमलावरों ने उन्हें घर पर आकर गोली मार दी। डर के मारे वह छत से कूद गए। वहीं पुलिस अब तक इस मामले में किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है।

11 जनवरी 2015, मुजफ्फरनगर
सूरत की बहनों के रेप के मामले में नारायण के खिलाफ गवाही देने वाले अखिल गुप्ता को भी बाइक सवार अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी। अखिल आसाराम का खानसामा भी रहा था। हमलावरों का अब तक पता नहीं है और अब कृपाल की हत्या के बाद पूरा परिवार दहशत में आ गया है कि कहीं हमलावार उन्हें निशाना न बना दें। अखिल के पिता मरेश गुप्ता ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि हमलों की सीबीआई जांच बेहद जरूरी है। वहीं मुजफ्फरनगर के एसपी सिटी श्रवण कुमार का कहना है कि हमने शाहजहांपुर टीम भेजी है और कृपाल और अखिल की हत्याओं की जांच मिलकर की जा रही है

23 मई 2014 , राजकोट
आसाराम और उसके बेटे नारायण सांई के खिलाफ मीडिया में खुलकर बोलने वाले अमृत प्रजापति को पता नहीं था कि उनका मुंह हमेशा के लिए बंद कर दिया जाएगा। 12 साल तक आसाराम के वैद रहे अमृत प्रजापति नारायण सांई मामले के सबसे अहम गवाह थे। बाइक पर सवार दो हमलावरों ने उन्हें गोलियां मारीं और इलाज के दौरान 10 जून 2014 को उनकी मौत हो गई। इससे पहले उन पर 8 बार हमले हो चुके थे। उनका परिवार सीबीआई जांच की मांग कर रहा है।

6 दिसंबर, 2009 ,साबरमती
आसाराम के खिलाफ खुलेआम महिलाओं से संबंध के आरोप लगाने वाले राजू चंडोक पर बाइक सवार हमलावरों ने फायरिंग कर दी। राजू आसाराम के खिलाफ एक केस में गवाह भी हैं। करीब 22 साल तक आसाराम के करीबी रहे राजू चंडोक ने आरोप लगाया कि आश्रम में तंत्र-मंत्र भी होता है। वहीं आश्रम ने एक स्टिंग के जरिये ये बताने की कोशिश की कि राजू आश्रम की संपत्ति हड़पने की फिराक में है। राजू ने पूछताछ में कहा, हमले से पहले उसे दिल्ली और गाजियाबाद से कई धमकी भरे फोन आए।

13 फरवरी 2015 ,जोधपुर
आसाराम यौन शोषण मामले में गवाह राहुल सचान पर जोधपुर कोर्ट के बाहर चाकुओं से हमला कर दिया गया, संयोग से जिंदगी बच गई राहुल आसाराम का पूर्व सेवादार है।

इन हमलों पर आसाराम की प्रवक्ता नीलम दुबे कहती हैं कि उन्होंने तो पहले ही कोर्ट में लिखकर जता दिया है कि इन हमलों की जांच होनी चाहिए जिससे सब कुछ साफ हो जाए।

हमलों के अलावा कुछ और भी वारदातें हुईं, जिनमें 16 मार्च 2014 को दिनेश भागचंदानी पर हमला हुआ। दिनेश आसाराम का पूर्व सहयोगी और गवाह है। 28 फरवरी 2014 को विमिलेश ठक्कर पर हमला हुआ। विमलेश नारायण के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वाली लड़की का करीबी है। जोधपुर कोर्ट के बाहर एक महिला पुलिसकर्मी पर भी हमला हुआ, साथ ही आसाराम के पूर्व वीडियोग्राफर राहुल पटेल को मारने की कोशिश भी शामिल है। अब आसाराम केस की पीड़ित लड़की ने सीबीआई जांच की मांग की है और उसके पिता ने आरोप लगाया है कि सभी हमलों के पीछे आसाराम हैं।

पूरे देश में करीब 450 आश्रम चलाने वाले आसाराम और उसका बेटा नारायण साईं बलात्कार के आरोप में एक अरसे से जेल में हैं। फिर भी अकड़ इतनी कि पेशी के लिए कोर्ट आने के दौरान भी उनके बयान गवाहों को डराने के लिए काफी होते हैं।

हालात ये हैं कि आसाराम केस की सुनवाई कर रहे जज और आसाराम को जेल से लाने वाले एक पुलिसकर्मी तक को धमकी मिल चुकी है, लेकिन उससे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि आज तक इन तमाम गवाहों पर हमले करने वाले एक भी आरोपी तक पुलिस नहीं पहुंच सकी है। ऐसे में ये सवाल उठने लाजिमी हैं कि क्या अध्यात्म के नाम पर दौलत हासिल कर चुके आसाराम और उसके गुर्गों की ताकत पुलिस पर भारी पड़ रही है।

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