नई दिल्ली:
लगभग दो महीने पहले दिल्ली पुलिस ने कथित रूप से तिहाड़ जेल के एक कैदी द्वारा फोन पर की गई बातचीत को सुना था, जो जेल के ही किसी कर्मचारी का फोन इस्तेमाल कर रहा था। सूत्रों ने बताया है कि इसी तरह सुनी गई एक बातचीत के दौरान इस कैदी ने संकेत दिए थे कि दिसम्बर में मेडिकल की एक छात्रा के साथ गैंगरेप करने और उसकी नृशंस हत्या कर देने के पांच आरोपियों पर हमला हो सकता है। बताया गया है कि तिहाड़ जेल के अधिकारियों को इस खतरे के बारे में जानकारी दे दी गई थी, और उसके बाद से पांचों आरोपियों की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। हाल ही में उन्हें कोर्ट और उसके भीतर ले जाने के लिए उनके साथ 20-30 हथियारबंद पुलिसकर्मी रहते थे।
सूत्रों का कहना है कि कथित रूप से पुलिस द्वारा इंटरसेप्ट की गई इस बातचीत में कैदी ने संकेत दिया था कि गैंगरेप के इन आरोपियों पर उन्हें साकेत फास्टट्रैक कोर्ट ले जाते वक्त हमला किया जा सकता है, जहां उन्हें सुनवाई के लिए रोज़ ले जाया जाता है। उल्लेखनीय है कि उन्हीं पांच आरोपियों में से एक रामसिंह की लाश सोमवार को जेल के उसके सेल की छत से लटकती पाई गई थी।
उधर, तिहाड़ जेल के अधिकारियों को रामसिंह की मौत पर अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट अभी फाइल करनी है, क्योंकि उसकी मौत के तरीके और परिस्थितियों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के मुताबिक रामसिंह की मौत लटकने से हुई है, और उसके शरीर पर किसी तरह की भी चोट के निशान नहीं हैं, लेकिन रामसिंह के परिवार का दावा है कि उसकी हत्या की गई है, और इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए।
पांचों आरोपियों ने अदालत में भी कहा था कि वे तिहाड़ जेल में उनकी जान को खतरा महसूस कर रहे हैं, क्योंकि जेल के बाकी कैदी अक्सर उन पर ताने कसते हैं, और हमला तक कर देते हैं, लेकिन पुलिस सूत्रों के अनुसार इस बार का यह खास खतरा जेल परिसर के बाहर हमले से जुड़ा था।
रामसिंह की मौत के बाद तिहाड़ जेल में बंद शेष चारों आरोपियों के वकीलों ने गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे तथा दिल्ली के पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार को खत लिखकर अनुरोध किया है कि या तो उन्हें किसी और जेल में स्थानांतरित कर दिया जाए, या तिहाड़ में उनकी सुरक्षा बढ़ा दी जाए।
सूत्रों का कहना है कि कथित रूप से पुलिस द्वारा इंटरसेप्ट की गई इस बातचीत में कैदी ने संकेत दिया था कि गैंगरेप के इन आरोपियों पर उन्हें साकेत फास्टट्रैक कोर्ट ले जाते वक्त हमला किया जा सकता है, जहां उन्हें सुनवाई के लिए रोज़ ले जाया जाता है। उल्लेखनीय है कि उन्हीं पांच आरोपियों में से एक रामसिंह की लाश सोमवार को जेल के उसके सेल की छत से लटकती पाई गई थी।
उधर, तिहाड़ जेल के अधिकारियों को रामसिंह की मौत पर अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट अभी फाइल करनी है, क्योंकि उसकी मौत के तरीके और परिस्थितियों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के मुताबिक रामसिंह की मौत लटकने से हुई है, और उसके शरीर पर किसी तरह की भी चोट के निशान नहीं हैं, लेकिन रामसिंह के परिवार का दावा है कि उसकी हत्या की गई है, और इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए।
पांचों आरोपियों ने अदालत में भी कहा था कि वे तिहाड़ जेल में उनकी जान को खतरा महसूस कर रहे हैं, क्योंकि जेल के बाकी कैदी अक्सर उन पर ताने कसते हैं, और हमला तक कर देते हैं, लेकिन पुलिस सूत्रों के अनुसार इस बार का यह खास खतरा जेल परिसर के बाहर हमले से जुड़ा था।
रामसिंह की मौत के बाद तिहाड़ जेल में बंद शेष चारों आरोपियों के वकीलों ने गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे तथा दिल्ली के पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार को खत लिखकर अनुरोध किया है कि या तो उन्हें किसी और जेल में स्थानांतरित कर दिया जाए, या तिहाड़ में उनकी सुरक्षा बढ़ा दी जाए।
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