सोनिया गांधी को फिर कांग्रेस की कमान, क्या दोहरा पाएंगी 1998 वाला करिश्मा? 

सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने अपनी राजनीतिक पारी में संप्रग के रूप में गठबंधन का सफल प्रयोग किया. 

सोनिया गांधी को फिर कांग्रेस की कमान, क्या दोहरा पाएंगी 1998 वाला करिश्मा? 

सोनिया गांधी (Sonia Gandhi)

खास बातें

  • सोनिया गांधी को कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया
  • चुनाव में हार के बाद कांग्रेस कई चुनौतियों से जूझ रही है
  • ऐसे में सोनिया गांधी को कई फ्रंट पर काम करना होगा
नई दिल्ली :

कांग्रेस की सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रह चुकी सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को पार्टी को संकट की स्थिति से निकालने के लिए एक बार फिर से इसकी बागडोर सौंपी गई है. राहुल गांधी के लिए कांग्रेस का शीर्ष पद स्वेच्छा से छोड़ने के महज 20 महीने बाद सोनिया गांधी (72) को कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने शनिवार को पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया. दरअसल, हालिया लोकसभा चुनावों में पार्टी को मिली करारी शिकस्त के बाद राहुल ने 25 मई को कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. सीडब्ल्यूसी के लिए सोनिया स्वभाविक पसंद थी, जो पहले भी संकट की घड़ी में पार्टी की खेवनहार रह चुकी हैं. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक इस घटनाक्रम ने एक बार से यह जाहिर कर दिया है कि कांग्रेस नेतृत्व के लिए किस कदर नेहरू-गांधी परिवार पर निर्भर है.

CWC की बैठक में दोबारा आए राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर में हालात खराब की बात कहकर क्या छिपा लिया?

कांग्रेस अध्यक्ष पद पर 19 साल तक रहीं सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) की उन फैसलों को लेकर सराहना की जाती है, जिसने पार्टी को लगातार दो आम चुनावों में और कई राज्य विधानसभा चुनावों में जीत दिलाई. वह 1998 से 2017 तक पार्टी की अध्यक्ष रही थीं. वर्ष 2004 में उन्होंने पार्टी के चुनाव प्रचार का नेतृत्व किया और उसे जीत दिलाई. उन्होंने प्रधानमंत्री बनने से इनकार करते हुए इस पद पर मनमोहन सिंह को नामित करने का फैसला किया. उनके इस कदम को कई लोग एक राजनीतिक ‘मास्टरस्ट्रोक' के तौर पर देखा गया. सूत्रों ने बताया कि 134 साल पुरानी का नेतृत्व संभालने के सीडब्ल्यूसी के सर्वसम्मति वाले अनुरोध को स्वीकार करने का फैसला कर सोनिया ने साहस का परिचय दिया है क्योंकि वह लगातार अपने खराब स्वास्थ्य का सामना कर रही हैं.  

लगभग 12 घंटों की माथापच्ची के बाद सोनिया गांधी इस तरह बनीं कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष! पढ़ें इनसाइड स्टोरी

सोनिया गांधी ने अपनी राजनीतिक पारी में संप्रग के रूप में गठबंधन का सफल प्रयोग किया. वर्ष 2004 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिये चुनाव पूर्व गठबंधन बनाना उनकी सबसे बड़ी सफलताओं में से एक थी. वहीं, जब 2009 में केंद्र में अपने दूसरे कार्यकाल की शुरूआत में संप्रग लड़खड़ा रहा था, तब सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने गठबंधन की नाव पार लगाई. हालांकि, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समानांतर कैबिनेट चलाने को लेकर उनकी अक्सर ही आलोचना की जाती है. अब, एक बार फिर से पार्टी के खेवनहार के तौर पर ऐसे समय में उनकी वापसी हुई है, जब इस साल के आखिर में हरियाणा,झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होना है. 

CWC की मीटिंग में फैसला, सोनिया गांधी को कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया

पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि उनका नेतृत्व पार्टी कार्यकर्ताओं में नयी जान फूंकेगा. यह भी महसूस किया जा रहा कि सोनिया की वापसी बंटे हुए विपक्ष को भाजपा का मुकाबला करने के लिए एकजुट होने की एक वजह देगी. यह ठीक उसी तरह से है जब 1998 की शुरूआत में सोनिया (Sonia Gandhi) के पार्टी की बागडोर संभालने के बाद से चीजें बदलनी शुरू हुई थीं. वह 1997 में पार्टी की प्राथमिक सदस्य बनी थी और 1998 में इसकी अध्यक्ष बनीं। वह 1999 से लगातार लोकसभा सदस्य हैं.  

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

VIDEO: CWC ने सोनिया गांधी को चुना कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष



(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)