विज्ञापन
This Article is From Jun 20, 2016

नहीं कम हो रही हैं दालों की कीमतें, सरकारी कोशिशें भी बेअसर

नहीं कम हो रही हैं दालों की कीमतें, सरकारी कोशिशें भी बेअसर
प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर
नई दिल्‍ली: दाल के दाम थामने की सरकारी कोशिशें लगातार बेअसर साबित हो रही हैं। यहां तक कि दाल के आयात का भी कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है। दाल के दाम थामने के लिए सरकार बहुत दूर की कौड़ी लाई है। अब वो अफ्रीका और म्यांमार में खेत खरीदने की सोच रही है जहां दाल उगाई जाएगी।

खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने एनडीटीवी से कहा, "हम म्यांमार और मोज़ांबिक सरकारों से बात करेंगे कि इस बारे में क्या-क्या संभव है। वरिष्ठ अधिकारियों का दो दल इसी हफ्ते इन दोनों देशों का दौरा करेगा। इसमें दूसरे मंत्रालय के अधिकारी भी शामिल होंगे।"

दरअसल दाल के दामों पर क़ाबू पाने की सारी सरकारी कोशिशें कारगर नहीं रहीं। सरकार ने बड़ी मात्रा में दाल आयात की - बीते तीन महीने में 14000 टन से ज़्यादा अरहर और उड़द दाल बाहर से मंगाई गई, लेकिन वो सरकारी दुकानों या गोदामों में ही रखी गयी हैं, देश की बड़ी मंडियों में नहीं पहुंची हैं।

दिल्ली अनाज व्यापारी संघ के उपाध्यक्ष आनंद गर्ग ने एनडीटीवी से कहा कि सरकार ने दाल व्यापारियों पर जिस तरह सख्ती बरती और स्टॉक होल्डिंग लिमिट को लेकर कार्रवाई की...उसके बाद व्यापारी उतना ज़्यादा आयात अब नहीं कर रहे। दूसरी तरफ सरकार जो हज़ारों टन दाल आयात कर रही है वो बाज़ार तक नहीं पहुंचा रही है।

नतीजा ये है कि दाल के दाम कम नहीं हो रहे। दिल्ली में उड़द दाल 161 रुपये किलो रुपये बिक रही है। जबकि मैंगलोर में तो 200 रुपये के करीब पहुंच गई है- 196 रुपये में बिक रही है; बेंगलुरु में भाव बस एक रुपये कम है- 195 रुपए और बठिंडा में 185 रुपये किलो है।

संकट ये है कि केंद्र ने बाहर से जो दाल मंगाई है, उसे ज्यादातर राज्य ख़रीदने को तैयार नहीं हैं। जबकि वो सिर्फ 66 रुपये किलो की रेट पर उनको दी जा रही है।

कृषि राज्य मंत्री संजीव बालयान ने एनडीटीवी से कहा, "दाल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों को मिलकर काम करना होगा। डिस्ट्रीब्यूशन का सारा अधिकार राज्य सरकारों के पास है। अगर वो गंभीरता से पहल नहीं करेंगे तो कीमतें नियंत्रित करना संभव नहीं होगा।"

मुश्किल ये भी है कि कई राज्य सरकारों के पास हज़ारों टन कच्चा दल सस्ते दरों पर केन्द्र से खरीद कर उनका प्रसंस्करण कराने की क्षमता नहीं है। ये भी एक वजह है कि आधे से अधिक राज्य सरकारों ने सस्ते दरों पर दाल केन्द्र से नहीं खरीदा है।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Previous Article
दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 2 साल बाद मिली जमानत
नहीं कम हो रही हैं दालों की कीमतें, सरकारी कोशिशें भी बेअसर
डेमोग्राफिक डिसऑर्डर के परिणाम परमाणु बम से कम गंभीर नहीं, जगदीप धनखड़ ने ऐसा क्यों कहा?
Next Article
डेमोग्राफिक डिसऑर्डर के परिणाम परमाणु बम से कम गंभीर नहीं, जगदीप धनखड़ ने ऐसा क्यों कहा?
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com