महाराष्ट्र के पूर्व महाधिवक्ता श्रीहरि अणे (फाइल फोटो)
मुंबई: महाराष्ट्र के महाधिवक्ता के पद से दूर होने के बाद श्रीहरि अणे ने ऐलान किया है कि वे पृथक विदर्भ की मांग से टस से मस होनेवाले नहीं चाहे जो हो सो हो। अणे ने भारी विवाद के बाद मंगलवार सुबह राजभवन जा कर राज्यपाल सी. विद्यासागर राव को अपने पद का इस्तीफा सौंप दिया। अणे महाराष्ट्र के दूसरे महाधिवक्ता हैं जिन्होंने पिछले सालभर में अपना पद छोड़ा हो। इससे पहले वरिष्ठ कानूनविद यशवंत मनोहर इस सरकारी पद को नकार चुके हैं।
गत रविवार मराठवाड़ा के जालना में श्रीहरि अणे ने पृथक मराठवाड़ा की मांग का समर्थन किया था। वे इससे पहले पृथक विदर्भ की मांग दोहराते आए हैं। उनके पद पर रहते इस बयानबाज़ी से महाराष्ट्र विधानमंडल के शीतकालीन सत्र का समय बर्बाद हो चुका है। तो मौजूदा बजट सत्र पर सत्ताधारी शिवसेना के बहिष्कार के ऐलान से बजट पास न हो सकने की चुनौती बीजेपी सरकार के सामने आ खड़ी हुई थी। जिसे टालने के लिए अणे ने पद से दूर होना बेहतर समझा। हालांकि वे उन खबरों को लगातार नकारते रहे कि उन्हें इस्तीफा देने को कहा गया है।
अपने इस्तीफे के बाद कोलाबा स्थित आवास पर संवाददाताओं से बात करते हुए अणे ने पृथक विदर्भ और पृथक मराठवाड़ा की मांग का भरसक समर्थन किया। उन्होंने कहा, 'इस मांग को संविधान निर्माता डॉ. बाबासाहब आंबेडकर का समर्थन प्राप्त है। जिन्होंने बेहतर प्रशासनिक कामकाज के लिए महाराष्ट्र के 3 हिस्से, विदर्भ-मराठवाड़ा और दक्कन, बनाने की बात कही थी। यही नहीं तो स्वर्गीय बालासाहब ठाकरे ने उनकी पार्टी के पहले सत्ताकाल में विदर्भ का विकास न होने पर खुद विदर्भ को अलग राज्य बनाने की पहल करने का बयान दिया था।
इसी के साथ अणे ने स्पष्ट कर दिया कि बीजेपी अलग विदर्भ करने का आश्वासन दे कर सत्ता प्राप्त कर चुकी है। वह अगर अपनी भूमिका से दूर हटती है तो वे बीजेपी के खिलाफ़ अगले चुनाव में प्रचार करेंगे और ये कोशिश करेंगे की बीजेपी विदर्भ से चुनकर न आए।
फिलहाल विदर्भ से पिछले चुनाव में बीजेपी के 8 सांसद और 43 विधायक चुनकर आए हैं, जो कि राज्य के अन्य हिस्से से अधिक है।