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This Article is From Dec 25, 2017

खुफिया रिपोर्ट ने खड़ी कर दी है शिवराज सरकार के सामने मुश्किल, कई विधायक हार सकते हैं चुनाव

मध्यप्रदेश में कई ऐसे मुद्दे हैं जिनसे जनता सरकार से नाराज है ऐसे में कई विधायकों के हारने की रिपोर्ट ने शिवराज की फिक्र को और बढ़ा दी है. 

खुफिया रिपोर्ट ने खड़ी कर दी है शिवराज सरकार के सामने मुश्किल, कई विधायक हार सकते हैं चुनाव
भोपाल: मध्यप्रदेश  में साल 2018 में विधानसभा चुनाव होना है. सत्तारुढ़ बीजेपी के सामने सबसे बड़ी दिक्कत विपक्षी दल नहीं बल्कि खुद सरकार में शामिल लोग हैं. यह बात खुफिया रिपोर्ट से पता चली है. मध्यप्रदेश में कई ऐसे मुद्दे हैं जिनसे जनता सरकार से नाराज है ऐसे में कई विधायकों के हारने की रिपोर्ट ने शिवराज की फिक्र को और बढ़ा दी है. मध्यप्रदेश विधानसभा में फिलहाल बीजेपी के पास 165, कांग्रेस के पास 58 और अन्य 7 विधायक हैं. लेकिन 2018 में हालात बदल सकते हैं खुद पार्टी के कर्ताधर्ताओं का गणित ये इशारा दे रहा है. पार्टी मानती है कि 61 सीटें ऐसी हैं जिन पर मामला फंस सकता है. हाल ही में हुए उपचुनावों से भी पार्टी को ये इशारा मिला है. पार्टी नेता जहां से भी जानकारी जुटा रहे हैं उन्हें पता लग रहा है कि 60-70 सीटों का गणित बीजेपी के लिये मुश्किल खड़ी रहा है. पार्टी को ये बात पता है इसलिये दफ्तर में साल भर पहले से ही वॉर रूम शुरू हो गया है. चुनाव की तैयारी जोरों पर है.

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बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार चौहान ने का कहना है कि पार्टी उसे ही टिकट देगी जिसके जीतने की संभावना है. इसके साथ ही उन्होंने दावा कि चौथी बार शिवराज जी के नेतृत्व में सरकार बनेगी. हालांकि एक बार और गौर करने वाली है कि बतौर मुख्यमंत्री शिवराज के छवि पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है. लेकिन मंदसौर आंदोलन, कर्ज़ माफी, फसलों का सही मूल्य ना मिलना, कमज़ोर कानून व्यवस्था और विधायकों से नाराज़गी जैसे मुद्दे पार्टी के सामने चुनौती बनकर खड़े हैं.

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कांग्रेस भी इन्हीं मुद्दों को ही हवा दे रही है. कांग्रेस के संगठन महामंत्री  चंद्रिका प्रसाद दि्वेदी व्यापम बेरोजगारी, पलायन, सड़कें, अवैध उत्खनन जैसे मुद्दों पर सरकार विफल रही है. सरकार के मंत्री विधायक भयभीत हैं. पदयात्राओं में लोग नहीं आ रहे हैं जनता में गुस्सा है. लेकिन बीजेपी भी नये साल के पहले महीने में जमीनी हालातों का आंकलन करना शुरू करने जा रही है और इसके बाद से मौजूदा विधायक को टिकट देने या उनके विकल्प की रणनीति पर काम शुरू हो जाएगा.

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