भारतीय जनता पार्टी के मध्य प्रदेश विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को राजभवन में राज्यपाल लालजी टंडन ने सोमवार की रात को आयोजित समारोह में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. चौहान ने चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. राजभवन में सीमित संख्या में मौजूद लोगों की मौजूदगी में आयोजित समारोह में राज्यपाल लालजी टंडन ने चौहान को शपथ दिलाई. शपथ ग्रहण करने के बाद चौहान ने जनता कर्फ्यू की सफलता का जिक्र करते हुए लोगों से आह्वान किया है कि वे कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए आगे आएं. शपथ ग्रहण समारोह में निवर्तमान मुख्यमंत्री कमलनाथ भी मौजूद रहे. भाजपा विधायक चौहान को अपना नेता चुने जाने के बाद बस में सवार होकर राजभवन पहुंचे थे. भाजपा ने कोरोना वायरस के खतरे को ध्यान में रखते हुए भाजपा की बैठक में विधायकों को एक दूसरे से एक मीटर से ज्यादा की दूरी पर बैठाया था.
Bhopal: BJP's Shivraj Singh Chouhan takes oath as the Chief Minister of #MadhyaPradesh, at Raj Bhavan. pic.twitter.com/nJuy5TCQR2
— ANI (@ANI) March 23, 2020
चौहान इससे पहले तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वे पहली बार वह 29 नवंबर 2005 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे, इसके बाद वह 12 दिसंबर 2008 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने, फिर आठ दिसंबर 2013 में तीसरी बार शपथ ली थी. भाजपा प्रदेश मुख्यालय में यहां पार्टी विधायकों की बैठक में प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने दल के नेता के चयन के लिए विधायकों को आमंत्रित किया. जिस पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने विधायक दल के नेता के रूप में चौहान के नाम का प्रस्ताव किया, जिसका सभी विधायकों ने समर्थन किया.
वीडियो कफ्रेंसिंग के जरिए केंद्रीय पर्यवेक्षक अरुण सिंह ने भार्गव के प्रस्ताव का विधायकों द्वारा समर्थन किए जाने पर चौहान को विधायक दल का नेता चुनने का ऐलान किया. कमलनाथ द्वारा 20 मार्च को इस्तीफा सौंपे जाने के बाद से भाजपा में सरकार गठन की कवायद चल रही थी. पार्टी के निर्देश पर शाम छह बजे विधायक दल की बैठक हुई। इस बैठक में विधायकों से केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर विनय सहस्त्रबुद्धे व अरुण सिंह ने वीडियो कफ्रेंसिंग के जरिए चर्चा की. उसके बाद सर्वसम्मति से चौहान को नेता चुना गया.
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा का कहना है, "रीवा, सीधी, सिंगरौली आदि स्थानों के विधायक बैठक में नहीं आ पाए, मगर उनकी सहमति ली गई. कुल विधायकों में 80-85 प्रतिशत विधायक बैठक में पहुंचे."भाजपा ने कोरोनावायरस को लेकर बैठक में हिस्सा लेने आने वाले विधायकों को अन्य किसी को साथ न लाने के निर्देश दिए थे, जिसका सभी ने पालन किया. इसके अलावा विधायक मास्क लगाए हुए थे और उन्होंने सेनेटाइजर का उपयोग कर ही बैठक में हिस्सा लिया. ज्ञात हो कि कांग्रेस के 22 विधायकों के बगावत करने और सदस्यता से इस्तीफा दिए जाने के बाद कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई थी। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 20 मार्च को पद से इस्तीफा दे दिया था, उसके बाद से कमलनाथ सरकार को राज्यपाल ने कार्यवाहक के तौर पर काम करने के निर्देश दिए थे. भाजपा सूत्रों का कहना है कि कोरोनावायरस के संक्रमण के चलते राज्य के लिए स्थायी सरकार की जरूरत है. इसलिए भाजपा ने विधायक दल की बैठक बुलाई और नेता का चुनाव किया.
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