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This Article is From Jan 13, 2019

सपा-बसपा गठबंधन पर बोले शिवपाल यादव- यह मेरे बिना अधूरा है, भाजपा को हराने के लिए सेक्युलर फ्रंट की जरूरत

गठबंधन (SP-BSP Alliance) में शिवपाल सिंह यादव के शामिल होने के सवाल पर मायावती ने शनिवार को कहा था कि उनकी पार्टी को भाजपा फंड दे रही है, यह केवल वोटों को बांटने के लिए साजिश रची जा रही है.

सपा-बसपा गठबंधन पर बोले शिवपाल यादव- यह मेरे बिना अधूरा है, भाजपा को हराने के लिए सेक्युलर फ्रंट की जरूरत
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया नेता शिवपाल यादव.
लखनऊ:

समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) के भाजपा (BJP) के खिलाफ गठबंधन का एलान करने के बाद पूर्व सपा नेता और अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) ने प्रतिक्रिया दी हैं. शिवपाल यादव ने कहा, 'यह गठबंधन प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया (पीएसपी-एल) के बिना अधूरा है. केवल एक सेक्युलर फ्रंट ही भाजपा को हरा सकता है.' गठबंधन (SP-BSP Alliance) में शिवपाल सिंह यादव के शामिल होने के सवाल पर मायावती ने शनिवार को कहा था कि उनकी पार्टी को भाजपा फंड दे रही है, यह केवल वोटों को बांटने के लिए साजिश रची जा रही है.

हालांकि, कुछ दिन पहले ही शिवपाल ने सपा में शामिल होने की संभावना से तो इनकार कर दिया था, लेकिन गठबंधन में शामिल होने की इच्छा जरूर जाहिर की थी. शिवपाल ने कहा था, ‘प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का सपा में विलय करने या मेरी सपा में वापसी का कोई सवाल ही नहीं उठता. हालांकि, मैं भाजपा जैसी सांप्रदायिक शक्ति को सत्ता से दूर रखने के लिए समान विचारधारा वाली पार्टियों से गठबंधन करने को तैयार हूं. मगर वह भी तब होगा, जब हमें सम्मानजनक संख्या में सीटें मिलेंगी.'

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उन्होंने कहा कि प्रसपा के गठन के बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश के लगभग हर जिले का दौरा किया है. उन्हें हर जगह उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली हैं. अगर किसी पार्टी से गठबंधन नहीं हुआ तो प्रसपा प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

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सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव का आशीर्वाद हासिल होने या ना होने के सवाल पर पूर्व कैबिनेट मंत्री ने कहा था, ‘अब यह कोई सवाल नहीं रह गया है. मैंने कदम आगे बढ़ा दिये हैं. अब सवाल प्रदेश और देश का है. साथ ही इस बात का भी सवाल है कि हम साम्प्रदायिक शक्तियों को कैसे रोकते हैं.' हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वह मुलायम से प्रसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने का आग्रह करेंगे. अगर वह इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करते तो उनकी पार्टी चुनाव में उनका समर्थन करेगी, चाहे वह जहां से भी मैदान में उतरें.

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बता दें, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की कुल 80 लोकसभा सीटों में से 38-38 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगी. इन दोनों पार्टियों ने राज्य की दो सीटें छोटी पार्टियों के लिए छोडी हैं, जबकि अमेठी और रायबरेली की दो सीटें कांग्रेस पार्टी के लिए छोड़ने का फैसला किया है. बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में यह घोषणा की. मायावती ने बसपा-सपा गठबंधन को ‘नई राजनीतिक क्रांति का आगाज' करार देते हुए कहा कि इस गठबंधन से ‘गुरू-चेला' (नरेंद्र मोदी और अमित शाह) की नींद उड़ जाएगी. 

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उन्होंने कहा, ‘नए वर्ष में यह एक प्रकार की नई राजनीतिक क्रांति की शुरुआत है. इस गठबंधन से समाज की बहुत उम्मीदें जग गई हैं. यह सिर्फ दो पार्टियों का मेल नहीं है बल्कि सर्वसमाज (दलित, पिछड़ा, मुस्लिम, आदिवासी, गरीबों, किसानों और नौजवानों) का मेल है. यह सामाजिक परिवर्तन का बड़ा आंदोलन बन सकता है.'

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