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This Article is From Sep 22, 2015

शीना बोरा हत्याकांड : पहले लिए गए हड्डियों के नमूनों से मेल नहीं खा रहे हाल में लिए गए नमूने

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शीना बोरा हत्याकांड : पहले लिए गए हड्डियों के नमूनों से मेल नहीं खा रहे हाल में लिए गए नमूने
शीना बोरा (फाइल फोटो)
मुंबई: बहुचर्चित शीना बोरा हत्याकांड में एक और मोड़ आ गया है। बताया जा रहा है कि 2012 में शीना की जली हुई लाश से हड्डियों के जो नमूने फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने इकट्ठा किए थे, वे हाल में इकट्ठा किए गए नमूनों से मेल नहीं खा रहे।

इसी से जुड़े घटनाक्रम में सीबीआई ने इस मामले की जांच की जिम्मेदारी संभालने के महाराष्ट्र सरकार के अनुरोध को स्वीकार कर लिया। इस बीच, एक स्थानीय अदालत ने शीना बोरा हत्याकांड में आरोपी इंद्राणी मुखर्जी, उनके पूर्व पति संजीव खन्ना और ड्राइवर श्यावर राय की न्यायिक हिरासत अवधि एक पखवाड़े के लिए बढ़ा दी।

हड्डियों के नमूने मिश्रित गए हों
पिछले हफ्ते खार पुलिस थाने को 26 पन्नों वाली अपनी एक रिपोर्ट सौंपने वाले स्थानीय बीवाईएल नायर अस्पताल के फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने शंका जताई कि हो सकता है कि हड्डियों के नमूने मिश्रित गए हों और वे शीना बोरा के न हों।

जेजे अस्पताल ने पिछले महीने खार पुलिस को नमूने सौंपे थे। इसके बाद नमूने नायर अस्पताल को भेजे गए। लेकिन अस्पताल की फॉरेंसिक टीम द्वारा पुलिस को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि 2012 में पेन पुलिस द्वारा लिए गए नमूने और हाल ही में जेजे अस्पताल द्वारा सौंपे गए नमूने ‘‘संभव है कि एक नहीं हों।’’

सीबीआई ने स्वीकारा अनुरोध
इस बीच, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सीबीआई ने शीना बोरा हत्या मामले में जांच करने के राज्य सरकार के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है। फडणवीस ने कहा, ‘‘शीना बोरा हत्याकांड में जांच का जिम्मा लेने के लिए उन्हें (केंद्र सरकार) अनुरोध भेजने के पहले हमने केंद्र सरकार और सीबीआई अधिकारियों के साथ अनौपचारिक बातचीत की थी। वे मामले की जांच अपने हाथ में लेने पर सहमत हो गए हैं।’’

गृह विभाग की भी जिम्मेदारी संभाल रहे फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार ने जांच की जिम्मेदारी प्रमुख जांच एजेंसी को सौंपने का फैसला किया क्योंकि इसमें ‘‘कई वित्तीय पहलू’’ जुड़े हुए हैं और सरकार ने महसूस किया कि सीबीआई के लिए मामले में जुड़े विभिन्न पहलुओं की जांच आसान होगी।

उन्होंने कहा कि अगर जरूरत हुई तो राज्य सरकार सीबीआई को अधिकारी मुहैया करा सकती है, जैसा उसने अंधविश्वास विरोधी नरेंद्र दाभोलकर हत्या मामले में किया था।

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