
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की फाइल फोटो
मुंबई:
उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के मुद्दे पर अपने सहयोगी दल बीजेपी की कड़ी आलोचना करते हुए शिवसेना ने कहा कि बीजेपी ने नैतिकता के नाम पर 'लोकतंत्र का गला घोंट' दिया है। इसके साथ ही शिवसेना ने चेतावनी भी दी है कि इससे देश में अस्थिरता और अराजकता का माहौल पैदा हो सकता है।
शिवसेना प्रमुख ने साथ ही कहा, 'उत्तराखंड में जो हो हुआ, वह शर्मनाक है, इस मुद्दे को लौकतांत्रिक तरीके से हल किया जाना चाहिए था।'
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ उसका गठबंधन 'अस्थायी है और यह राजनीतिक अनिवार्यता का नतीजा है'... इस गठबंधन में 'नैतिकता या अनैतिकता का कोई सवाल नहीं है'।
उत्तराखंड में सत्ताधारी कांग्रेस में विद्रोह के मद्देनजर संवैधानिक संकट का हवाला देते हुए केंद्र ने रविवार को उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था। इस पर शिवसेना ने अपने पार्टी मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में आरोप लगाया, 'बीजेपी ने उत्तराखंड सरकार को अस्थिर करने के लिए कांग्रेस के नौ बागी विधायकों का इस्तेमाल किया।'
शिवसेना ने पूछा, 'अगर सरकार बहुमत खो चुकी थी तो फैसला राज्य विधानसभा में लिया जाना चाहिए था। राज्यपाल ने तो सरकार को 28 मार्च तक बहुमत साबित करने का वक्त भी दिया था, लेकिन उससे एक ही दिन पहले राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। बीजेपी ने इससे क्या हासिल कर लिया?'
एनडीए गठबंधन में कनिष्ठ सहयोगी दल ने कहा, 'हम कांग्रेस के भ्रष्ट कृत्यों के खिलाफ हैं, लेकिन लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता में आई सरकार को लोकतांत्रिक माध्यमों से ही हटाया जाना चाहिए। ज्यादा समय नहीं लगेगा जब इससे देश में अस्थिरता और अराजकता पैदा हो जाएगी।'
शिवसेना ने कहा, 'हमें कांग्रेस के सत्ता से जाने की चिंता नहीं है। लेकिन जैसा कि विपक्षी दल कहते हैं, आपने लोकतंत्र का गला घोंट दिया है? लोकतंत्र में, विपक्ष की आवाज का बहुत अधिक महत्व है। किसी एक पार्टी का शासन आपातकाल या तानाशाही से भी बुरा है। यदि विपक्ष को नष्ट कर दिया जाता है और सहयोगियों पर जहर फेंक दिया जाता है तो देश तबाह हो जाएगा।'
शिवसेना ने कहा कि महाराष्ट्र में मौजूदा गठबंधन राजनीतिक मजबूरियों का परिणाम है। पार्टी ने कहा, 'शिवसेना सरकार के साथ है, क्योंकि हम राज्य में अस्थिरता और कानूनहीनता की स्थिति नहीं चाहते। यहां नैतिकता या अनैतिकता का सवाल नहीं है लेकिन यह राजनीतिक मजबूरियों के चलते की गई अस्थायी व्यवस्था है।'
उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के बाद कांग्रेस ने इस फैसले को 'लोकतंत्र की हत्या' और उस दिन को 'काला' दिन करार दिया था। इसी बीच, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मंगलवार को आदेश जारी करके 31 मार्च को विधानसभा में शक्ति परीक्षण करवाने के लिए कहा। इसके साथ ही राज्य में राजनीतिक घटनाक्रम में एक नया मोड़ आ गया है।
शिवसेना प्रमुख ने साथ ही कहा, 'उत्तराखंड में जो हो हुआ, वह शर्मनाक है, इस मुद्दे को लौकतांत्रिक तरीके से हल किया जाना चाहिए था।'
What happened in #Uttarakhand is shameful,this matter should have been resolved in a democratic way-Shiv Sena chief Uddhav Thackeray
— ANI (@ANI_news) March 30, 2016
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ उसका गठबंधन 'अस्थायी है और यह राजनीतिक अनिवार्यता का नतीजा है'... इस गठबंधन में 'नैतिकता या अनैतिकता का कोई सवाल नहीं है'।
उत्तराखंड में सत्ताधारी कांग्रेस में विद्रोह के मद्देनजर संवैधानिक संकट का हवाला देते हुए केंद्र ने रविवार को उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था। इस पर शिवसेना ने अपने पार्टी मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में आरोप लगाया, 'बीजेपी ने उत्तराखंड सरकार को अस्थिर करने के लिए कांग्रेस के नौ बागी विधायकों का इस्तेमाल किया।'
शिवसेना ने पूछा, 'अगर सरकार बहुमत खो चुकी थी तो फैसला राज्य विधानसभा में लिया जाना चाहिए था। राज्यपाल ने तो सरकार को 28 मार्च तक बहुमत साबित करने का वक्त भी दिया था, लेकिन उससे एक ही दिन पहले राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। बीजेपी ने इससे क्या हासिल कर लिया?'
एनडीए गठबंधन में कनिष्ठ सहयोगी दल ने कहा, 'हम कांग्रेस के भ्रष्ट कृत्यों के खिलाफ हैं, लेकिन लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता में आई सरकार को लोकतांत्रिक माध्यमों से ही हटाया जाना चाहिए। ज्यादा समय नहीं लगेगा जब इससे देश में अस्थिरता और अराजकता पैदा हो जाएगी।'
शिवसेना ने कहा, 'हमें कांग्रेस के सत्ता से जाने की चिंता नहीं है। लेकिन जैसा कि विपक्षी दल कहते हैं, आपने लोकतंत्र का गला घोंट दिया है? लोकतंत्र में, विपक्ष की आवाज का बहुत अधिक महत्व है। किसी एक पार्टी का शासन आपातकाल या तानाशाही से भी बुरा है। यदि विपक्ष को नष्ट कर दिया जाता है और सहयोगियों पर जहर फेंक दिया जाता है तो देश तबाह हो जाएगा।'
शिवसेना ने कहा कि महाराष्ट्र में मौजूदा गठबंधन राजनीतिक मजबूरियों का परिणाम है। पार्टी ने कहा, 'शिवसेना सरकार के साथ है, क्योंकि हम राज्य में अस्थिरता और कानूनहीनता की स्थिति नहीं चाहते। यहां नैतिकता या अनैतिकता का सवाल नहीं है लेकिन यह राजनीतिक मजबूरियों के चलते की गई अस्थायी व्यवस्था है।'
उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के बाद कांग्रेस ने इस फैसले को 'लोकतंत्र की हत्या' और उस दिन को 'काला' दिन करार दिया था। इसी बीच, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मंगलवार को आदेश जारी करके 31 मार्च को विधानसभा में शक्ति परीक्षण करवाने के लिए कहा। इसके साथ ही राज्य में राजनीतिक घटनाक्रम में एक नया मोड़ आ गया है।
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