वेंकैया नायडू (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
कल से शुरू होने जा रहे संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्षी दल असहिष्णुता के मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी में हैं, जबकि सत्ता पक्ष जीएसटी विधेयक को पारित कराने पर ध्यान केंद्रित करते हुए सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए अपनी इच्छा जता चुका है। वाम नेता ने देश में 'बढ़ती असहिष्णुता' पर चर्चा करने के लिए एक नोटिस भी दिया है। उन्होंने बताया कि नोटिस को 'चर्चा के लिए पूर्व नोटिस' के तौर पर राज्यसभा के सभापति ने मंजूरी दे दी है, "इसलिए हम इसके विरोध में आवाज उठाएंगे..."। असहिष्णुता के मुद्दे पर नायडू ने कहा कि हम बहस के लिए तैयार हैं।
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विपक्ष अपने आक्रामक तेवर अगले सोमवार से जाहिर करेगा, जब सरकार संविधान और इसके निर्माता बीआर अंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर चर्चा के लिए दो दिन की विशेष बैठक के बाद अपने विधायी कामकाज का एजेंडा सदन में रखेगी।
सरकार ने बुधवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। बीजेपी संसदीय दल की कार्यकारिणी और एनडीए के घटक दलों की बुधवार को ही प्रधानमंत्री के आवास पर बैठक भी होगी। इससे पहले सर्वदलीय बैठक होगी, जो लोकसभा अध्यक्ष ने बुलाई है।
सत्र में विरोध के संकेतों के बीच वरिष्ठ मंत्रियों ने मंगलवार को सदन में समन्वय के लिए रणनीति तैयार की और विचार-विमर्श किया, जबकि कांग्रेस, जेडीयू और सीपीएम जैसे दलों ने अपने इरादे साफ करते हुए असहिष्णुता के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए नोटिस देने का फैसला किया है। ये दल सुधार के एक प्रमुख कदम जीएसटी पर भी सरकार को निशाने पर लेंगे। एनडीए के मंत्रियों ने संसद के दोनों सदनों में चर्चा के लिए लाए जाने वाले विधायी प्रस्तावों पर विचार-विमर्श किया, जिनमें अध्यादेशों का स्थान लेने संबंधी तीन विधेयक, जीएसटी विधेयक, भूसंपदा नियमन विधेयक आदि शामिल हैं।
मंत्रियों ने दादरी की घटना, तर्कवादी लेखक एमएम कलबुर्गी की हत्या और ऐसी ही अन्य हालिया घटनाओं पर भी चर्चा की, जिनके आधार पर कथित तौर पर बढ़ती असहिष्णुता का अभियान चलाया जा रहा है।
समझा जाता है कि सरकार संसद में यह कहते हुए गेंद राज्यों के पाले में डाल सकती है कि केंद्र और बीजेपी का इन घटनाओं से कोई लेना-देना नहीं है। सरकार के कर्ताधर्ता कह सकते हैं कि इन मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जवाब दे चुके हैं। इन मुद्दों के संदर्भ में सरकार के अंदर यह विचार है कि इन पर रक्षात्मक रवैया अपनाने का कोई कारण नहीं है, लेकिन अगर विपक्ष इस बारे में चर्चा करने पर जोर देता है, तो इसके लिए तैयार रहना चाहिए।
उधर, जीएसटी पर सरकार की मुश्किलें खत्म होने के आसार नहीं हैं। सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने मंगलवार को कहा, "जीएसटी विधेयक पर सरकार ने अपना होमवर्क नहीं किया है... उसने सर्वदलीय बैठक नहीं बुलाई है, जबकि उसे इस पर चर्चा के लिए यह बैठक बुलानी चाहिए थी... अगर विधेयक सदन में पारित नहीं होता है तो इसके लिए सिर्फ और सिर्फ सरकार ही जिम्मेदार होगी, क्योंकि उसने अपना होमवर्क नहीं किया...।"
(इनपुट भाषा से भी)
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विपक्ष अपने आक्रामक तेवर अगले सोमवार से जाहिर करेगा, जब सरकार संविधान और इसके निर्माता बीआर अंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर चर्चा के लिए दो दिन की विशेष बैठक के बाद अपने विधायी कामकाज का एजेंडा सदन में रखेगी।
सरकार ने बुधवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। बीजेपी संसदीय दल की कार्यकारिणी और एनडीए के घटक दलों की बुधवार को ही प्रधानमंत्री के आवास पर बैठक भी होगी। इससे पहले सर्वदलीय बैठक होगी, जो लोकसभा अध्यक्ष ने बुलाई है।
सत्र में विरोध के संकेतों के बीच वरिष्ठ मंत्रियों ने मंगलवार को सदन में समन्वय के लिए रणनीति तैयार की और विचार-विमर्श किया, जबकि कांग्रेस, जेडीयू और सीपीएम जैसे दलों ने अपने इरादे साफ करते हुए असहिष्णुता के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए नोटिस देने का फैसला किया है। ये दल सुधार के एक प्रमुख कदम जीएसटी पर भी सरकार को निशाने पर लेंगे। एनडीए के मंत्रियों ने संसद के दोनों सदनों में चर्चा के लिए लाए जाने वाले विधायी प्रस्तावों पर विचार-विमर्श किया, जिनमें अध्यादेशों का स्थान लेने संबंधी तीन विधेयक, जीएसटी विधेयक, भूसंपदा नियमन विधेयक आदि शामिल हैं।
मंत्रियों ने दादरी की घटना, तर्कवादी लेखक एमएम कलबुर्गी की हत्या और ऐसी ही अन्य हालिया घटनाओं पर भी चर्चा की, जिनके आधार पर कथित तौर पर बढ़ती असहिष्णुता का अभियान चलाया जा रहा है।
समझा जाता है कि सरकार संसद में यह कहते हुए गेंद राज्यों के पाले में डाल सकती है कि केंद्र और बीजेपी का इन घटनाओं से कोई लेना-देना नहीं है। सरकार के कर्ताधर्ता कह सकते हैं कि इन मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जवाब दे चुके हैं। इन मुद्दों के संदर्भ में सरकार के अंदर यह विचार है कि इन पर रक्षात्मक रवैया अपनाने का कोई कारण नहीं है, लेकिन अगर विपक्ष इस बारे में चर्चा करने पर जोर देता है, तो इसके लिए तैयार रहना चाहिए।
उधर, जीएसटी पर सरकार की मुश्किलें खत्म होने के आसार नहीं हैं। सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने मंगलवार को कहा, "जीएसटी विधेयक पर सरकार ने अपना होमवर्क नहीं किया है... उसने सर्वदलीय बैठक नहीं बुलाई है, जबकि उसे इस पर चर्चा के लिए यह बैठक बुलानी चाहिए थी... अगर विधेयक सदन में पारित नहीं होता है तो इसके लिए सिर्फ और सिर्फ सरकार ही जिम्मेदार होगी, क्योंकि उसने अपना होमवर्क नहीं किया...।"
(इनपुट भाषा से भी)
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