बेंगलुरु पुलिस ने देश की एक जानी-मानी मोबाइल सेवा देने वाली कंपनी के साथ-साथ उसके 7 वेंडर्स के खिलाफ देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने और धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया है। सभी सात वेंडर्स को पुलिस ने गैर-ज़मानती धाराओं के तहत गिरफ्तार किया है।
दरअसल असम में पिछले साल दिसंबर में हुए आदिवासियों के नरसंहार के मुख्य आरोपियों में से एक बोडो उग्रवादी संजू बारदोलोई बेंगलुरु में छुपा था। तमाम कोशिशों के बावजूद पुलिस उस नंबर को ट्रैक नहीं कर पा रही थी, जिसका वह इस्तेमाल कर रहा था। उस तक पहुंचने में पुलिस को कई दूसरे हथकंडे अपनाने पड़े।
उसकी गिरफ्तारी के बाद पता चला कि जिस नंबर का वह इस्तेमाल कर रहा था, वह फर्जी नाम और पते पर जारी किया गया था। देश में प्री एक्टिवेटिड सिम पर पाबंदी है। पुलिस उस वक़्त दंग रह गई, जब उसे पता चला कि संजू बारदोलोई के बेंगलुरु पहुंचने से चार घंटे पहले से उसका नंबर चल रहा था यानी एक्टिवेटिड था।
जिस वेंडर के जरिये उसे प्री एक्टिवेटिड सिम मिला था, उससे जब पूछताछ हुई तो करीब 1,000 प्री एक्टिवेटिड सिम कार्ड का पता चला जो कि एक प्रतिष्ठित मोबाइल सेवा देने वाली कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों की सहमति से सात वेंडर्स के जरिये ग्राहकों को दिया जा रहा था।
सिटी क्राइम ब्रांच के डीसीपी अभिषेक गोयल के मुताबिक कंपनी के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की सहमति से वेंडर्स सही दस्तावेजों वाले ग्राहकों के कागज़ात में फर्ज़ीवाड़ा कर नकली दस्तावेज़ तैयार करते और इस तरह हर महीने हज़ारों नए ग्राहक बनाते। पुलिस का कहना है कि नियमों को इस तरह ताक पर रखकर जारी किए जा रहे सिम से न सिर्फ आतंकियों पर नज़र रखना मुश्किल हो जाता है, बल्कि दूसरे आपराधिक मामलों में भी जांच के दौरान बड़ी चुनौतियां खड़ी हो जाती हैं।
पुलिस को अंदेशा है कि फर्जी दस्तावेज की बुनियाद पर इस तरह से प्री एक्टिवेटिड सिम जारी कर बाजार बढ़ाने के काम में दूसरी कंपनियां भी शामिल हो सकती हैं और इसकी जांच शुरू कर दी गई है।
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