अपने सहयोगियों के साथ नॉर्थ-ईस्ट पर अपना दबदबा बनाए रखने में कामयाब रही भाजपा को दो उत्तरी राज्यों- हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में भारी झटका लगा है. हरियाणा में इनेलो के अभय चौटाला ने भाजपा के गोबिंद कांडा को हराकर वापस सीट पर कब्जा कर लिया है. वहीं अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस उन सभी तीन विधानसभा सीटों पर कब्जा करने में कामयाब रही, जहां शनिवार को उपचुनाव हुए थे. वहीं 2019 में करीब चार लाख के अंतर से भाजपा द्वारा जीती गई मंडी लोकसभा सीट पर भी कांग्रेस ने कब्जा कर लिया है.
जहां कांग्रेस ने फतेहपुर और अर्की पर अपनी पकड़ बरकरार रखी हैं तो वहीं असली फायदा राज्य के सेब का गढ़ कहे जाने वाले जुब्बल-कोटखाई में हुआ, जिस पर बीजेपी का कब्जा था. यह सीट कांग्रेस ने अपने कब्जे में कर ली है. यहां बीजेपी ने यहां पूर्व मंत्री नरेंद्र बरागटा के बेटे चेतन बरागटा की जगह नीलम सरैइक को टिकट दिया था, जो कभी भी मुकाबले में नजर नहीं आईं.
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नाराज चेतन सिंह बरागटा ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा. जिसके चलते बीजेपी का वोट बैंक बंट गया और इसका फायदा कांग्रेस को मिला. दो बार निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले कांग्रेस उम्मीदवार रोहित ठाकुर पिछला चुनाव 1,060 मतों से हार गए थे. वहीं इस बार जुब्बल कोठखाई से बीजेपी उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई.
वहीं मंडी लोकसभा सीट जीतना कांग्रेस के लिए किसी बड़े तोहफे से कम नहीं है, क्योंकि इस सीट पर दिवंगत मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह मैदान में थीं. वहीं बीजेपी ने कारगिल युद्ध के नायक ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) खुशाल ठाकुर तो उनके खिलाफ मैदान में उतारा था. यह सीट भाजपा सांसद राम स्वरूप शर्मा के 17 मार्च को नई दिल्ली में उनके सरकारी आवास में कथित तौर पर आत्महत्या करने के बाद खाली हुई थी.
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जहां तीनों विधानसभा सीटों पर जीत से कांग्रेस राज्य में मजबूत हुई तो वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के गृह जिला मंडी लोकसभा सीट पर आए परिणाम उनके और वीरभद्र सिंह के परिवार का राजनीतिक भविष्य तय करेगा. इस हार के बाद मुख्यमंत्री की छवि को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं क्योंकि वह खुद चुनाव प्रचार करने पहुंचे थे.
इस चुनाव में प्रतिभा सिंह ने अपने दिवंगत पति के नाम पर वोट मांगा था. जिसका लाभ भी उन्हें मिला. वर्तमान में उनके पुत्र विक्रमादित्य सिंह शिमला ग्रामीण से राज्य विधानसभा के सदस्य हैं. वीरभद्र सिंह राज्य के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले व्यक्ति रहे हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर छह कार्यकाल पूरे किए हैं. राज्य के बड़े नेताओं के साथ ही वह पांच बार लोकसभा के लिए भी चुने गए थे. हालांकि उनकी मृत्यु के बाद अर्की लोकसभा सीट खाली हो गई थी, जिस पर उपचुनाव हुए थे.
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