आतंकियों को मिल रहे गांव वालों के सहानुभूति को लेकर सुरक्षा एजेंसियां चिंतित

आतंकियों को मिल रहे गांव वालों के सहानुभूति को लेकर सुरक्षा एजेंसियां चिंतित

प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

श्रीनगर:

दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में हिज़्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों ने खुल कर मारे गए आतंकवादी नसिर पंडित को गोलियों की सलामी दी और पुलिस कुछ नहीं कर पाई। ये घाटी में आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ रहे सुरक्षा बलों के आगे एक नई चुनती है।

दरअसल सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में नसीर पंडित और वसीम मल्लाह नाम के दो आतंकी शोपियां में मारे गए थे। नसीर पंडित पुलवामा का रहने वाला था। जब उसका जनजा निकल रहा था तब पहले ग़ुस्से में आयी भीड़ ने आतंकी का शव छीन लिया। साथ ही पुलिस की गाड़ी को आग के हवाले कर दिया। यही नहीं, करीमाबाद में नसीर के जनाजे में हजारों लोग शामिल हुए। साथ ही अज्ञात आतंकियों ने नसीर को 21 बंदूकों की सलामी दी। नसीर को दफनाने के समय चार बार नमाज पढ़ी गई।

वहीं पहलीपुरा में भी वसीम को दफनाने के समय तीन अलग अलग जगहों पर नमाज पढ़ी गई। इसमें भी हजारों लोग शामिल हुए। पंडित पिछले साल 27 मार्च को पीडीपी मंत्री अल्ताफ बुखारी के निवास से दो एके-47 राइफलें लेकर फरार हो गया था। और हिज़्बुल से जुड़ गया। पुलवामा के एसपी रईस अहमद मीर ने बताया, 'हां, पुलिस की एक गाड़ी को जला दिया गया। लेकिन इसे हाईजैक कहना गलत होगा क्‍योंकि वहां काफी भीड़ थी। पुलिस किसी तरह की अप्रिय घटना नहीं चाहती थी।’

आतंकवादियों को मिल रहे लोगों का समर्थन सुरक्षा बलों के लिए चिंता की बात है। ज़्यादा चिंता की बात ये है कि आतंकवादी खुलेआम अपने साथियों को बंदूक़ से सलामी दे रहे हैं। पुलिस के मुताबिक़ नसीर के जनाज़े में हिज़्बुल ने गोलियां चलाई। एक वरिष्‍ठ पुलिस अक्सर ने एनडीटीवी इंडिया को बताया, 'ये पहली बार नहीं हुआ, ये चौथा वाक़या है जिसने मारे गए आतंकी को आतंकवादी संगठन ने गोलियों से सलामी दी हो। सबसे पहले पिछले साल ये कुलगाम में हुआ जब अबू क़ासिम नाम का आतंकी मारा गया।"

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जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर पोस्ट किया, ‘‘प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर हमला किया, उनके वाहन को जला दिया और आतंकवादियों को ‘‘तोपों की सलामी' दी गयी। ऐसे वक्त में मुख्यमंत्री दफ्तर की सफाई के बारे में बात कर रही हैं।'