इशरत जहां (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
इशरत जहां मामले की खोई हुई फाइलों के मामले में गृह मंत्रालय एक-एक अफ़सर से पूछताछ कर रहा है। सबके दफ़्तरों की तलाशी भी ली जा रही है।
लेकिन इशरत जहां मामले से जुड़ी चार फाइलों का अब तक कुछ पता नहीं चला है। अब गृह मंत्रालय उन तमाम अफ़सरों से पूछताछ कर रहा है जो इस मामले से जुड़े रहे। एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक़ दो मौजूदा सीनियर आईएएस अफ़सरों धर्मेन्द्र शर्मा और राकेश सिंह के बयान दर्ज हो चुके हैं। एक पूर्व आईएएस डी दीप्तिविलास का बयान भी लिया जा चुका है। ये तीनों आंतरिक सुरक्षा का विभाग देखते थे। लेकिन तीनों से फाइलों का कोई सुराग नहीं मिल पाया है। उधर पूर्व गृह मंत्री पी चिदम्बरम सीधा आरोप लगा रहे हैं कि फाइलें जान-बूझ कर ग़ायब की गई हैं।
पी चिदम्बरम का कहना है, "मामला जांच का विषय है। मैं अभी ज्यादा बात नहीं करूंगा। कुछ चुनिंदा कागज़ात गायब हैं। इससे किसका फायदा है? उन लोगों का जो केवल आरोप लगा रहे हैं। वही कागज़ात गायब हुए हैं जो मेरी भूमिका का समर्थन करते हैं। मैं तो चाहता हूं कि कमिटी इन कागज़ात को ढूंढे।"
मामला दो अलग अलग हलफनामों का है। NDA की सरकार आरोप लगा रही है कि चिदम्बरम ने जान-बूझ कर हलफ़नामे में फेरबदल किया था ताकि गुजरात सरकार और उसके अफ़सरों और नेताओं को कटघरे में खड़ा किया जा सके। हालांकि इस बात से वो इंकार कर रहे हैं।
पूर्व गृह मंत्री पी चिदम्बरम का कहना है, 'नया एफिडिविट नहीं है। वह केवल अतिरिक्त/अगला एफिडीविट है। इसे तमांग की मांग के बाद दिया गया है। इसमें कहा गया है कि किस तरह से हत्या हुई।"
मंत्रालय अब आरवीएस मणि और उत्तराखंड के डीजीपी एमए गणपति से पूछताछ करने की तैयारी में है। साथ ही अफ़सरों के दफ़्तरों की तलाशी भी ली जा रही है। गृह मंत्रालय के अफ़सर मान रहे हैं कि फाइलें लापरवाही से गायब हुई हैं, उनके पीछे कोई साज़िश नहीं है। लेकिन इशरत मामले की तह तक पहुंचने के लिहाज से ये लापरवाही भी महंगी पड़ सकती है।
लेकिन इशरत जहां मामले से जुड़ी चार फाइलों का अब तक कुछ पता नहीं चला है। अब गृह मंत्रालय उन तमाम अफ़सरों से पूछताछ कर रहा है जो इस मामले से जुड़े रहे। एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक़ दो मौजूदा सीनियर आईएएस अफ़सरों धर्मेन्द्र शर्मा और राकेश सिंह के बयान दर्ज हो चुके हैं। एक पूर्व आईएएस डी दीप्तिविलास का बयान भी लिया जा चुका है। ये तीनों आंतरिक सुरक्षा का विभाग देखते थे। लेकिन तीनों से फाइलों का कोई सुराग नहीं मिल पाया है। उधर पूर्व गृह मंत्री पी चिदम्बरम सीधा आरोप लगा रहे हैं कि फाइलें जान-बूझ कर ग़ायब की गई हैं।
पी चिदम्बरम का कहना है, "मामला जांच का विषय है। मैं अभी ज्यादा बात नहीं करूंगा। कुछ चुनिंदा कागज़ात गायब हैं। इससे किसका फायदा है? उन लोगों का जो केवल आरोप लगा रहे हैं। वही कागज़ात गायब हुए हैं जो मेरी भूमिका का समर्थन करते हैं। मैं तो चाहता हूं कि कमिटी इन कागज़ात को ढूंढे।"
मामला दो अलग अलग हलफनामों का है। NDA की सरकार आरोप लगा रही है कि चिदम्बरम ने जान-बूझ कर हलफ़नामे में फेरबदल किया था ताकि गुजरात सरकार और उसके अफ़सरों और नेताओं को कटघरे में खड़ा किया जा सके। हालांकि इस बात से वो इंकार कर रहे हैं।
पूर्व गृह मंत्री पी चिदम्बरम का कहना है, 'नया एफिडिविट नहीं है। वह केवल अतिरिक्त/अगला एफिडीविट है। इसे तमांग की मांग के बाद दिया गया है। इसमें कहा गया है कि किस तरह से हत्या हुई।"
मंत्रालय अब आरवीएस मणि और उत्तराखंड के डीजीपी एमए गणपति से पूछताछ करने की तैयारी में है। साथ ही अफ़सरों के दफ़्तरों की तलाशी भी ली जा रही है। गृह मंत्रालय के अफ़सर मान रहे हैं कि फाइलें लापरवाही से गायब हुई हैं, उनके पीछे कोई साज़िश नहीं है। लेकिन इशरत मामले की तह तक पहुंचने के लिहाज से ये लापरवाही भी महंगी पड़ सकती है।
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