फाइल फोटो
नई दिल्ली:
सीबीआई में रिश्वतखोरी को लेकर लगे आरोपों से संबंधित मामलों में आज सुप्रीम कोर्ट में दो रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सौंपी गई हैं. जिसमें पहली रिपोर्ट सीबीआई चीफ आलोक वर्मा पर की गई जांच को सीवीसी ने सौंपी है और दूसरी रिपोर्ट सीबीआई के कार्यकारी चीफ एम नागेश्वर राव द्वारा अफसरों के ट्रांसफर और लिए गए फैसलों की है जिसे सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने सौंपी है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट इस दौरान सीवीसी से नाराज दिखा और कहा कि अगर रिपोर्ट दाखिल नहीं कर पा रहे थे तो कम से कम सूचना तो देनी चाहिए थी. फिलहाल मामले की सुनवाई 16 नवंबर के लिए तय कर दी गई है. इसके साथ ही अदालत ने कहा फिर साफ कहा है कि आदेश में निहित है कि इस दौरान सीबीआई में कोई महत्वपूर्ण निर्णय न लिया जाए और अगर आदेश का उल्लंघन किया गया तो हम देखेंगे. आपको बता दें कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है. 26 अक्टूबर को पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) को दो हफ्ते में आलोक वर्मा पर लगे आरोपों की जांच पूरी कर सील कवर में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था. साथ ही सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस एके पटनायक को जांच की निगरानी का जिम्मा सौंपा था.
सीवीसी को CBI अफसर राकेश अस्थाना ने बताया- जिस टाइम घूस लेने की बात है, उस वक्त तो मैं लंदन में था
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिए थे कि सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव कोई भी नीतिगत फैसले नहीं लेंगे. कोर्ट ने 23 अक्तूबर से 26 अक्तूबर तक जांच अफसरों के ट्रांसफर समेत तमाम फैसलों की सील कवर में सूची मांगी थी. साथ ही केंद्र, CVC व राकेश अस्थाना समेत सभी को नोटिस जारी किया था. सूत्रों के मुताबिक इस दौरान जांच में सीवीसी को आलोक वर्मा के खिलाफ पुख्ता जानकारी नहीं मिल पाई है कि उन्होंने सना से दो करोड़ रुपये घूस ली थी. ये शिकायत राकेश अस्थाना ने अगस्त में सीवीसी से की थी. वर्मा ने सरकार के छुट्टी भेजे जाने के फैसले को चुनौती देने के साथ ही सीवीसी की सिफारिश, कार्मिक विभाग के आदेश और एम नागेश्वर राव को अतंरिम डायरेक्टर बनाने के फैसलों को रद्द करने की मांग की है.
CBI Feud : आलोक वर्मा ने भ्रष्टाचार के आरोपों का खंडन किया, अस्थाना भी पहुंचे CVC
इसके अलावा सीबीआई के स्पेशल निदेशक राकेश अस्थाना और अन्य अफसरों के भ्रष्टाचार के मामलों की कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच की याचिका पर भी सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. इसमें निदेशक आलोक वर्मा को हटाने और एम नागेश्वर राव की नियुक्ति को भी चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया है कि रॉव पर भी भ्रष्टाचार के मामले हैं. ये याचिका 'कॉमन कॉज' ने दाखिल की है. याचिका में यह भी कहा गया है कि अस्थाना को सीबीआई से हटाया जाना चाहिए. अस्थाना के स्टर्लिंग/संदेसारा समूह से करीबी संबंध हैं, जिनकी जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है.
सीवीसी ने आलोक वर्मा के बाद राकेश अस्थाना को तलब किया
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कोर्ट ने यह भी निर्देश दिए थे कि सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव कोई भी नीतिगत फैसले नहीं लेंगे. कोर्ट ने 23 अक्तूबर से 26 अक्तूबर तक जांच अफसरों के ट्रांसफर समेत तमाम फैसलों की सील कवर में सूची मांगी थी. साथ ही केंद्र, CVC व राकेश अस्थाना समेत सभी को नोटिस जारी किया था. सूत्रों के मुताबिक इस दौरान जांच में सीवीसी को आलोक वर्मा के खिलाफ पुख्ता जानकारी नहीं मिल पाई है कि उन्होंने सना से दो करोड़ रुपये घूस ली थी. ये शिकायत राकेश अस्थाना ने अगस्त में सीवीसी से की थी. वर्मा ने सरकार के छुट्टी भेजे जाने के फैसले को चुनौती देने के साथ ही सीवीसी की सिफारिश, कार्मिक विभाग के आदेश और एम नागेश्वर राव को अतंरिम डायरेक्टर बनाने के फैसलों को रद्द करने की मांग की है.
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इसके अलावा सीबीआई के स्पेशल निदेशक राकेश अस्थाना और अन्य अफसरों के भ्रष्टाचार के मामलों की कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच की याचिका पर भी सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. इसमें निदेशक आलोक वर्मा को हटाने और एम नागेश्वर राव की नियुक्ति को भी चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया है कि रॉव पर भी भ्रष्टाचार के मामले हैं. ये याचिका 'कॉमन कॉज' ने दाखिल की है. याचिका में यह भी कहा गया है कि अस्थाना को सीबीआई से हटाया जाना चाहिए. अस्थाना के स्टर्लिंग/संदेसारा समूह से करीबी संबंध हैं, जिनकी जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है.
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