स्कॉर्पीन पनडुब्बी...
नई दिल्ली:
भारतीय नौसेना ने डाटा लीक प्रकरण को पीछे छोड़ते हुये फ्रांस द्वारा बनायी गयी स्कॉर्पियन पनडुब्बियों को अपने बेड़े में शामिल करने के लिए आखिरकार एक समयसीमा तय कर ली है और पहली दो पनडुब्बियों के इस वर्ष नौसेना में शामिल होने की संभावना है. नौसेना के शीर्ष सूत्रों ने बताया कि पहली अत्याधुनिक पनडुब्बी कलवारी को इस वर्ष के मध्य में शामिल करने की तैयारी है. इसे मिसाइलों और हथियार प्रणाली से लैस करने की प्रक्रिया पूरी होने वाली है.
फ्रांस की तकनीक के साथ इन पनडुब्बियों का करीब 3.5 बिलियन डॉलर की कीमत से मझगांव डॉक लिमिटेड में निर्माण किया जा रहा है. योजना के अनुसार दूसरी पनडुब्बी खान्देरी को इस साल के अंत तक नौसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा और इसके बाद नौ महीने के अंतराल पर बाकी की पनडुब्बियों को शामिल किया जाएगा.
गौरतलब है कि अगस्त में इन पनडुब्बियों की क्षमताओं पर 22 हजार से अधिक पृष्ठों की अत्यधिक गोपनीय सूचनाएं लीक हो गई थी और ऑस्ट्रेलिया के एक समाचार पत्र ने इनकी जानकारी को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित किया था.
उस समय नौसेना के सूत्रों ने कहा था कि दस्तावेज पुराने हैं और भारतीय पनडुब्बियों के डिजाइन में शुरुआती डिजाइन से लेकर अब तक ‘कई बदलाव’ किए गए हैं. ऐसे समय में जब चीन हिंद महासागर में अपनी नौवहन गतिविधियों को बढ़ा रहा है तो इन पनडुब्बियों के आने से भारत की नौसैन्य शक्ति के बढ़ने की उम्मीद है. ये सभी छह डीजल-इलेक्ट्रिक आक्रमण पनडुब्बियां जहाज रोधी मिसाइल से लैस है.
नौसेना ने बृहस्पतिवार को जहाज रोधी मिसाइल कलवारी का सफल परीक्षण किया था. पहली पनडुब्बी का निर्माण कार्य 23 मई 2009 को शुरू हुआ था और यह परियोजना अपने निर्धारित समय से चार वर्ष पीछे चल रही है.
फ्रांस की तकनीक के साथ इन पनडुब्बियों का करीब 3.5 बिलियन डॉलर की कीमत से मझगांव डॉक लिमिटेड में निर्माण किया जा रहा है. योजना के अनुसार दूसरी पनडुब्बी खान्देरी को इस साल के अंत तक नौसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा और इसके बाद नौ महीने के अंतराल पर बाकी की पनडुब्बियों को शामिल किया जाएगा.
गौरतलब है कि अगस्त में इन पनडुब्बियों की क्षमताओं पर 22 हजार से अधिक पृष्ठों की अत्यधिक गोपनीय सूचनाएं लीक हो गई थी और ऑस्ट्रेलिया के एक समाचार पत्र ने इनकी जानकारी को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित किया था.
उस समय नौसेना के सूत्रों ने कहा था कि दस्तावेज पुराने हैं और भारतीय पनडुब्बियों के डिजाइन में शुरुआती डिजाइन से लेकर अब तक ‘कई बदलाव’ किए गए हैं. ऐसे समय में जब चीन हिंद महासागर में अपनी नौवहन गतिविधियों को बढ़ा रहा है तो इन पनडुब्बियों के आने से भारत की नौसैन्य शक्ति के बढ़ने की उम्मीद है. ये सभी छह डीजल-इलेक्ट्रिक आक्रमण पनडुब्बियां जहाज रोधी मिसाइल से लैस है.
नौसेना ने बृहस्पतिवार को जहाज रोधी मिसाइल कलवारी का सफल परीक्षण किया था. पहली पनडुब्बी का निर्माण कार्य 23 मई 2009 को शुरू हुआ था और यह परियोजना अपने निर्धारित समय से चार वर्ष पीछे चल रही है.
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