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This Article is From Apr 11, 2016

SC ने सबरीमाला मंदिर ट्रस्ट से पूछा - किस आधार पर महिलाओं को अंदर जाने से रोका जाए

SC ने सबरीमाला मंदिर ट्रस्ट से पूछा - किस आधार पर महिलाओं को अंदर जाने से रोका जाए
नई दिल्ली: केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर ट्रस्ट से पूछा की आप हमें बताये की इस बात को संवैधानिक तौर पर कैसे स्वीकार करें की मंदिर में महिलाओं को क्यों न प्रवेश करने दिया जाये। सुप्रीम कोर्ट ने कहा लिंग के आधार पर भेदभाव अब खतरनाक चरण में है। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा की क्या कोई परंपरा संवैधानिक अधिकारों से ऊपर है। ऐसा क्या आधार है कि किसी महिला को मंदिर में प्रवेश से रोका जा सके। कोर्ट ने कहा 'आपने एक मंदिर बनवाया उसमें मेरी आस्था है जिसमें मैं जाना चाहता हूं। लेकिन आप मुझे यह आधार बताकर कैसे रोक सकते है कि मैं एक महिला हूं।'

पहले किसे प्रणाम करेंगे..
सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर ट्रस्ट से पूछा - आपके सामने मां, पिता, कुल गुरु और कुल पुरोहित है तो किसको पहले प्रणाम करेंगे। इस सवाल के बाद कोर्ट ने खुद ही उत्तर दिया - पहले मां, पिता, कुल गुरु और कुल पुरोहित यानि मां सर्व प्रथम है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा था कि जब वेद उपनिषद और यहां तक कि भगवान भी महिलाओं और पुरुषों में भेदभाव नहीं करते तो मंदिर में भेदभाव क्यों हो रहा है। कोर्ट ने मंदिर ट्रस्ट को कहा था कि वह यह साबित करें कि यह प्रथा एक हजार साल पुरानी है।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा - क्या आप किसी महिला को माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने से रोक सकते हैं। अगर 30 लाख लोग भी कहेंगे कि महिलाओं पर पाबंदी सही है तो भी हम संविधान को ही देखेंगे। इसके साथ ङी सुप्रीम कोर्ट ने ट्रस्ट से यह भी पूछा की ट्रांसजेंडर के लिए मंदिर की क्या पालिसी है ? मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होगी।

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