भारतीय सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के मसौदा संविधान को अंतिम रूप देने पर उसके द्वारा फैसला सुनाये जाने तक सभी राज्य क्रिकेट संघों के चुनाव कराने पर रोक लगा दी. शीर्ष अदालत ने साथ ही इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने उच्च न्यायालयों से कहा कि राज्य क्रिकेट संघों के लिये प्रशासकों की नियुक्ति से जुड़ी किसी भी याचिका को विचारार्थ स्वीकार नहीं किया जाये. अदालत ने कहा कि वह ‘एक राज्य, एक मत’ और बीसीसीआई पदाधिकारियों के लिये ब्रेक से संबंधित पूर्व फैसले में संशोधन पर विचार करेगी.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की, 'लोढ़ा कमेटी के कूलिंग ऑफ की सिफारिश को हम नहीं मान रहे, हम BCCI के सुझाव को मानने को तैयार हैं.'
70 साल की उम्र की कैप पर सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने कहा कि जज रिटायर होकर 70 साल की उम्र में अध्यक्षता कर रहे हैं. इस पर जस्टिस एएम खानविलकर ने कहा कि अध्यक्षता खेल नहीं है. महाराष्ट्र एसोसिएशन ने कहा कि 70 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति देश चला सकता है तो सदस्य क्यों नहीं बन सकता. नेताओं को अलग नहीं रखा जा सकता.
दरअसल लोढ़ा पैनल ने सिफारिश की थी कि तीन साल के कार्यकाल के बाद सदस्यों के लिए कूलिंग ऑफ पीरियड होना चाहिए. लेकिन बीसीसीआई ने सुझाव दिया था कि कूलिंग ऑफ के बजाय किसी और पर चुनाव लड़ सकें.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बिहार की टीम अब घरेलू क्रिकेट सीरीज में खेलेगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इसी साल सितंबर से सभी टूर्नामेंट में बिहार की टीम खेलेगी. BCCI ने अपना ड्राफ्ट संविधान सुप्रीम कोर्ट में दिया. सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य क्रिकेट एसोसिएशन को कहा कि अगर किसी को ड्राफ्ट संविधान पर अपनी राय देनी है तो 3 दिनों के भीतर एमिकस गोपाल सुब्रमण्यम को दे.
VIDEO: 10 बातें : BCCI में बड़े बदलाव
सुप्रीम कोर्ट ने BCCI के संविधान पर फैसला सुरक्षित रखा. कोर्ट दो हफ्ते बाद फैसला सुना सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि कोई भी हाईकोर्ट क्रिकेट एसोसिएशन चुनावों से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करेगा.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की, 'लोढ़ा कमेटी के कूलिंग ऑफ की सिफारिश को हम नहीं मान रहे, हम BCCI के सुझाव को मानने को तैयार हैं.'
70 साल की उम्र की कैप पर सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने कहा कि जज रिटायर होकर 70 साल की उम्र में अध्यक्षता कर रहे हैं. इस पर जस्टिस एएम खानविलकर ने कहा कि अध्यक्षता खेल नहीं है. महाराष्ट्र एसोसिएशन ने कहा कि 70 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति देश चला सकता है तो सदस्य क्यों नहीं बन सकता. नेताओं को अलग नहीं रखा जा सकता.
दरअसल लोढ़ा पैनल ने सिफारिश की थी कि तीन साल के कार्यकाल के बाद सदस्यों के लिए कूलिंग ऑफ पीरियड होना चाहिए. लेकिन बीसीसीआई ने सुझाव दिया था कि कूलिंग ऑफ के बजाय किसी और पर चुनाव लड़ सकें.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बिहार की टीम अब घरेलू क्रिकेट सीरीज में खेलेगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इसी साल सितंबर से सभी टूर्नामेंट में बिहार की टीम खेलेगी. BCCI ने अपना ड्राफ्ट संविधान सुप्रीम कोर्ट में दिया. सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य क्रिकेट एसोसिएशन को कहा कि अगर किसी को ड्राफ्ट संविधान पर अपनी राय देनी है तो 3 दिनों के भीतर एमिकस गोपाल सुब्रमण्यम को दे.
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सुप्रीम कोर्ट ने BCCI के संविधान पर फैसला सुरक्षित रखा. कोर्ट दो हफ्ते बाद फैसला सुना सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि कोई भी हाईकोर्ट क्रिकेट एसोसिएशन चुनावों से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करेगा.
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