अनुराग ठाकुर (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:
बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें अनुराग ठाकुर को आपराधिक मामले में बरी करने के फैसले को चुनौती दी गई थी.
जस्टिस एके गोयल और जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने 30 मई 2016 को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया है जिसमें ठाकुर के खिलाफ मामले को रद्द कर दिया था.
कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि अनुराग ठाकुर समेत अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा निरस्त करने का हाईकोर्ट का फैसला त्रुटिपूर्ण है. उन्होंने कहा कि ठाकुर और उनके साथ करीब 250 लोगों ने 2013 में धर्मशाला में पुलिस अधीक्षक के दफ्तर में जबरन घुसकर सरकारी अधिकारियों के कामकाज को अवरुद्ध किया था. लोगों ने नारेबाजी की और पटाखे भी चलाए. ऐसे में इन लोगों को आसानी से नहीं छोड़ा जाना चाहिए.
इससे पहले हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ट्रायल कोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर अनुराग ठाकुर और अन्य आरोपियों को समन किया था क्योंकि किसी सरकारी नौकर या वरिष्ठ अधिकारी ने इस संबंध में कोई लिखित शिकायत नहीं की थी. हाईकोर्ट ने यह आदेश अनुराग ठाकुर और अन्य द्वारा ट्रायल कोर्ट के समन किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर दिया था.
जस्टिस एके गोयल और जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने 30 मई 2016 को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया है जिसमें ठाकुर के खिलाफ मामले को रद्द कर दिया था.
कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि अनुराग ठाकुर समेत अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा निरस्त करने का हाईकोर्ट का फैसला त्रुटिपूर्ण है. उन्होंने कहा कि ठाकुर और उनके साथ करीब 250 लोगों ने 2013 में धर्मशाला में पुलिस अधीक्षक के दफ्तर में जबरन घुसकर सरकारी अधिकारियों के कामकाज को अवरुद्ध किया था. लोगों ने नारेबाजी की और पटाखे भी चलाए. ऐसे में इन लोगों को आसानी से नहीं छोड़ा जाना चाहिए.
इससे पहले हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ट्रायल कोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर अनुराग ठाकुर और अन्य आरोपियों को समन किया था क्योंकि किसी सरकारी नौकर या वरिष्ठ अधिकारी ने इस संबंध में कोई लिखित शिकायत नहीं की थी. हाईकोर्ट ने यह आदेश अनुराग ठाकुर और अन्य द्वारा ट्रायल कोर्ट के समन किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर दिया था.
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