
अब सुप्रीम कोर्ट में लक्ष्मी vs यूनियन ऑफ इंडिया का केस नहीं आएगा। नौ साल बाद ही सही लेकिन एसिड पीड़ितों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट की सोशल जस्टिस बेंच ने साफ कहा है कि प्राइवेट अस्पतालों को एसिड पीड़ितों का मुफ़्त इलाज करना पड़ेगा। साथ ही पूरी शर्तें भी साफ कर दी हैं।
याचिकाकर्ता लक्ष्मी की वकील अपर्णा भटट ने बताया कि कोर्ट ने साफ कर दिया है कि मुफ़्त इलाज में पीड़िता का ऑपरेशन, दवाओं का खर्च, खाना-पीना और बेड भी शामिल है। उन्होंने कहा कि ये एक बड़ा फैसला है और एसिड पीड़ितों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी लंबी सुनवाई के बाद सरकारों को भी दिशानिर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने कहा है कि एसिड पीड़ितों को कम से कम तीन लाख रुपये का मुआवजा मिले। सरकार की ओर से पीड़ितों को सर्टिफिकेट भी दिया जाए, ताकि योजनाओं से फायदा मिले। साथ ही जिला जज, पुलिस और सीएमओ की कमेटी हो, जिसमें पड़ित अपनी शिकायत और मुआवजे की मांग कर सके।
सुप्रीम कोर्ट ने एसिड की खुली बिक्री के मामले में भी केंद्र को कहा है कि तीन महीने के भीतर सारे राज्य इसपर रोक लगाएं। लेकिन एक और बड़ी बात है, लक्ष्मी का केस सुप्रीम कोर्ट में फिर से ना आए इसके लिए जरूरी है कि प्राइवेट अस्पताल, केंद्र और राज्य सरकारें कोर्ट के इस आदेश का पालन करें। अगर ऐसा नहीं होगा तो हो सकता है कि लक्ष्मी या फिर किसी और को सुप्रीम कोर्ट का फिर से दरवाजा खटखटाना पड़े।
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