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This Article is From Dec 15, 2017

SC ने नहीं दी तीस्ता सीतलवाड़ को राहत, खाते डिफ्रीज करने की याचिका की खारिज

तीस्ता के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि गुजरात पुलिस उन पर बेवजह दबाव बना रही है. ये सरकार का दुर्भावनापूर्ण कदम है.

SC ने नहीं दी तीस्ता सीतलवाड़ को राहत, खाते डिफ्रीज करने की याचिका की खारिज
तीस्ता सीतलवाड़ ( फाइल फोटो )
नई दिल्ली: 2002 के गुजरात दंगों में गुलबर्ग सोसाइटी में पीड़ितों के लिए मेमोरियल बनाने के लिए चंदे में हेरफेर की आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और उनके ट्रस्ट के बैंक फ्रीज करने का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि खाते दोबारा शुरू नहीं किए जाएंगे.  25 जुलाई को तीस्ता और उनके पति जावेद आनंद की खातों को फिर से खोलने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान तीस्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में गुजरात सरकार पर सवाल उठाए गए. तीस्ता के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि गुजरात पुलिस उन पर बेवजह दबाव बना रही है. ये सरकार का दुर्भावनापूर्ण कदम है. सरकार इस निचले स्तर पर पहुंचेगी कभी नहीं सोचा था. सात सालों में 7870 रुपये के खर्च को सरकार बढ़ा-चढ़ाकर बता रही है. इन बिलों में शराब के चंद रुपये थे लेकिन सरकार ऐसे बता रही है जैसे लाखों रुपये खर्च कर दिए हों.

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सिब्बल ने कहा, 'गुजरात पुलिस जिस बड़े मियां रेस्तरां को लग्जरी बता रही है वो मुंबई में रोड साइड खाने की दुकान है'. उन्होंने दलील दी कि गुलबर्ग सोसाइटी में मेमोरियल बनाने के लिए इकट्ठा किया चंदा 4.32 लाख रुपये उनके 'सबरंग' ट्रस्ट में आया लेकिन गुजरात सरकार ने संबरंग के साथ साथ दो निजी खातों के अलावा दूसरे एनजीओ 'सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस' का बैंक खाता भी फ्रीज कर दिया है. इस खाते में एफसीआरए के तहत फोर्ड फाउंडेशन से डोनेशन आती है और एचआरडी मंत्रालय से भी डोनेशन आती है. ऐसे में सबरंग ट्रस्ट में लिए गए डोनेशन के लिए इन खातों को क्यों फ्रीज किया गया. यहां तक कि ट्रस्टियों ने जो डोनेशन दिया वो भी फ्रीज कर दिया.

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वहीं गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि तीस्ता ने गुलबर्ग सोसाइटी में दंगा पीड़ितों के लिए मेमोरियल बनाने के नाम पर चंदा इकट्ठा किया. पुलिस की जांच में पाया गया कि इसके बाद इस डोनेशन के रुपयों को शराब, खाना, कपड़े और फिल्मों के लिए निजी खर्च के तौर पर इस्तेमाल किया. साथ ही इस चंदे को सीजेपी के अकाउंट और निजी बैंक खातों में भी ट्रांसफर किया. सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता और गुजरात पुलिस को एक हफ्ते के भीतर अपने लिखित जवाब दाखिल करने को कहा था.   

 वीडियो : पिछली सुनवाई में तीस्ता ने फैसला रख लिया था सुरक्षित

आपको बता दें कि तीस्ता सीतलवाड़ और जावेद पर 2002 के गुजरात दंगों के दौरान अहमदाबाद की गुलबर्गा सोयायटी में हुई तबाही की याद में म्यूजियम बनाने के लिए किए गए चंदे की हेराफेरी का केस दर्ज किया गया है. गुजरात हाईकोर्ट ने दोनों की अग्रिम जमानत अर्जी रद्द कर दी थी. इसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसने अग्रिम जमानत दी है.  तब से यह केस तीन सदस्यीय पीठ की सुनवाई के लिए लंबित है. इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने खातों को डिफ्रीज करने से इनकार किया था. 

 

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