नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र से कहा कि वह पूर्व प्रधान न्यायाधीश केजी बालकृष्णन के शीर्ष अदालत के न्यायाधीश और एनएचआरसी का अध्यक्ष रहने की अवधि का उनके रिश्तेदारों के आयकर आकलन का ब्योरा सौंपे।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह की पीठ ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से आयकर रिटर्न का आकलन आदेश दाखिल करने को कहा, जब उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति बालकृष्णन के सारे रिश्तेदार मामले के पक्षकार नहीं हैं और वे निजी पक्ष हैं जो अपना रिटर्न दाखिल कर रहे हैं।
पीठ ने एनजीओ कॉमन कॉज की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा, आप एक चार्ट दाखिल करें जिसमें हमारे अवलोकन के लिए उनके आयकर के आकलन आदेश का संकेत दें। जनहित याचिका में न्यायमूर्ति बालकृष्णन के शीर्ष अदालत के न्यायाधीश और एनएचआरसी का अध्यक्ष रहने के दौरान उनके रिश्तेदारों द्वारा कथित तौर पर जुटाई गई अकूत संपत्ति की सीबीआई जांच की मांग की गई है।
सुनवाई के दौरान रोहतगी ने कहा कि न्यायमूर्ति बालकृष्णन के भाई, बहन और अन्य रिश्तेदार मामले के पक्षकार नहीं हैं और आयकर के अधीन हैं। एनजीओ की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि न्यायमूर्ति बालकृष्णन को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष पद से हटाने की मांग वाली प्रार्थना निर्रथक हो गई है, क्योंकि वह पहले ही पद से हट गए हैं। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 12 जुलाई निर्धारित कर दी।
गत वर्ष 15 सितंबर को शीर्ष अदालत ने याचिका पर सुनवाई के लिए अटॉर्नी जनरल की सहायता मांगी थी और यह साफ कर दिया था कि वह ‘बेनामी’ लेन-देन में नहीं पड़ेगी। उसने कहा कि कथित तौर पर आयकर के उल्लंघन की जांच की जा सकती है। भूषण ने आरोप लगाया था कि पूर्व सीजेआई के पुत्र, पुत्री और भाई के नाम पर तकरीबन 21 संपत्तियां खरीदी गई हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह की पीठ ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से आयकर रिटर्न का आकलन आदेश दाखिल करने को कहा, जब उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति बालकृष्णन के सारे रिश्तेदार मामले के पक्षकार नहीं हैं और वे निजी पक्ष हैं जो अपना रिटर्न दाखिल कर रहे हैं।
पीठ ने एनजीओ कॉमन कॉज की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा, आप एक चार्ट दाखिल करें जिसमें हमारे अवलोकन के लिए उनके आयकर के आकलन आदेश का संकेत दें। जनहित याचिका में न्यायमूर्ति बालकृष्णन के शीर्ष अदालत के न्यायाधीश और एनएचआरसी का अध्यक्ष रहने के दौरान उनके रिश्तेदारों द्वारा कथित तौर पर जुटाई गई अकूत संपत्ति की सीबीआई जांच की मांग की गई है।
सुनवाई के दौरान रोहतगी ने कहा कि न्यायमूर्ति बालकृष्णन के भाई, बहन और अन्य रिश्तेदार मामले के पक्षकार नहीं हैं और आयकर के अधीन हैं। एनजीओ की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि न्यायमूर्ति बालकृष्णन को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष पद से हटाने की मांग वाली प्रार्थना निर्रथक हो गई है, क्योंकि वह पहले ही पद से हट गए हैं। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 12 जुलाई निर्धारित कर दी।
गत वर्ष 15 सितंबर को शीर्ष अदालत ने याचिका पर सुनवाई के लिए अटॉर्नी जनरल की सहायता मांगी थी और यह साफ कर दिया था कि वह ‘बेनामी’ लेन-देन में नहीं पड़ेगी। उसने कहा कि कथित तौर पर आयकर के उल्लंघन की जांच की जा सकती है। भूषण ने आरोप लगाया था कि पूर्व सीजेआई के पुत्र, पुत्री और भाई के नाम पर तकरीबन 21 संपत्तियां खरीदी गई हैं।
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