संकट मोचन संगीत समारोह : तबले और पखावज का सीताराम

वाराणसी:

संकट मोचन संगीत समारोह की दूसरी रात पंडित भवानी शंकर और उस्ताद फजल कुरैशी के तबले और पखावज की जुगलबंदी के लिए  याद की जाएगी। पहले तीन ताल में आलाप और पारंपरिक प्रस्तुतियां दीं।

भवानी शंकर ने अपने पिता स्वर्गीय बाबूलाल की छंद और पडंत पेश की। इसके बाद जब तबले और पखावज होड़ करने लगे तो लोग वाह-वाह कर उठे, क्योंकि मंच संकट मोचन हनुमान मंदिर का था और उस्ताद फज़ल कुरैशी का तबला जब सीताराम सीताराम की धुन बिखेरने लगा तो पखावज पर भवानी शंकर इसका पीछा करते ही नज़र आए, लेकिन तबले और पखावज की ये सीताराम धुन ने लोगों को तालियों की गड़गड़ाहट के बीच झूमने पर मज़बूर कर दिया।  

इस जुगलबंदी से पहले सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला की राम की शक्ति पूजा का मंचन रूपवाणी संस्था के कलाकारों ने किया। उसके बाद इस प्रांगण में रामनाम की वर्षा होने लगी। मुंबई के पंडित रतन शर्मा ने राग विहाग में बड़ा खयाल " कैसे सुख सोऊ नींद न आए और छोटा खयाल लट उलझे सुलझाया बालम पर श्रोताओ को झुमाया तो " वन चले राम रघुराई जैसे भजनों से भक्तों को भाव विभोर किया।  कोलकाता के शास्त्रीय गायक अजय चक्रवर्ती ने राग काफी में बड़ा ख़याल " मेरे मन में बसो राम " और छोटा खयाल में जाके प्रिय न राम वैदेही जैसे भजनों की फुहार छोड़ी।  

देर रात पंडित विश्व मोहन भट्ट की मंगल वीणा ने लोगों को मंगल ध्वनि से विभोर किया तो भोर में पंडित जसराज की गायकी ने लोगों को आत्मविभोर कर दिया और सुबह की आरती तक पंडित जसराज मानो कार्यक्रम नहीं, बल्कि स्वयं हनुमान जी के सामने संगीत की साधना करते नज़र आए। 


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