संजीव चतुर्वेदी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
एम्स के चीफ विजिलेंस ऑफिसर (सीवीओ) संजीव चतुर्वेदी को उनके पद से हटाए जाने और उनसे काम वापस लिए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के साथ-साथ एम्स, सीवीसी और एम्स के वर्तमान सीवीओ को भी नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने कहा है इस मामले में जल्दी सुनवाई कर तेज़ी से निपटाया जाएगा.
एम्स के पूर्व सीवीओ संजीव चतुर्वेदी 2002 बैच के भारतीय वन सेवा के अधिकारी हैं, जो 2012 में केंद्र सरकार में डेप्युटेशन पर आए और एम्स में सीवीओ के पद पर उनकी तैनाती हुई. एम्स में भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर करने के लिए चतुर्वेदी तुरंत चर्चा में आ गए, लेकिन अगस्त 2014 में स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने उन्हें सीवीओ के पद से हटा दिया जिसे लेकर काफी विवाद हुआ. उसके बाद नवंबर 2014 में जब बीजेपी नेता जेपी नड्डा स्वास्थ्य मंत्री बने को चतुर्वेदी से सभी काम ले लिया गया.
इसे लेकर चतुर्वेदी ने केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में गुहार भी लगाई थी कि उन्हें काम नहीं दिया जा रहा. ट्रिब्यूनल ने बहुमत से उनके केस को यह कहकर खारिज कर दिया था कि काम देना या न देना सरकार का विशेषाधिकार है. उसके बाद हाइकोर्ट ने भी चतुर्वेदी की याचिका खारिज कर दी थी. चतुर्वेदी इस बीच अपने मूल काडर उत्तराखंड वापस जा चुके हैं लेकिन केंद्र सरकार के खिलाफ उनकी कानूनी लड़ाई जारी है.
एम्स के पूर्व सीवीओ संजीव चतुर्वेदी 2002 बैच के भारतीय वन सेवा के अधिकारी हैं, जो 2012 में केंद्र सरकार में डेप्युटेशन पर आए और एम्स में सीवीओ के पद पर उनकी तैनाती हुई. एम्स में भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर करने के लिए चतुर्वेदी तुरंत चर्चा में आ गए, लेकिन अगस्त 2014 में स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने उन्हें सीवीओ के पद से हटा दिया जिसे लेकर काफी विवाद हुआ. उसके बाद नवंबर 2014 में जब बीजेपी नेता जेपी नड्डा स्वास्थ्य मंत्री बने को चतुर्वेदी से सभी काम ले लिया गया.
इसे लेकर चतुर्वेदी ने केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में गुहार भी लगाई थी कि उन्हें काम नहीं दिया जा रहा. ट्रिब्यूनल ने बहुमत से उनके केस को यह कहकर खारिज कर दिया था कि काम देना या न देना सरकार का विशेषाधिकार है. उसके बाद हाइकोर्ट ने भी चतुर्वेदी की याचिका खारिज कर दी थी. चतुर्वेदी इस बीच अपने मूल काडर उत्तराखंड वापस जा चुके हैं लेकिन केंद्र सरकार के खिलाफ उनकी कानूनी लड़ाई जारी है.
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