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This Article is From Jun 23, 2020

भारत, चीन को अपने मुद्दे सुलझाने के लिए बाहरी मदद की जरूरत नहीं: त्रिपक्षीय बैठक में रूस के विदेश मंत्री

पिछले हफ्ते पूर्वी लद्दाख की गालवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक संघर्ष (Ladakh Clash) के बाद व्‍याप्‍त तनाव के बीच लावरोव की यह टिप्‍पणी आई है. दोनों देशों के सैनिकों के हिंसक संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक को जान गंवानी पड़ी थी जबकि करीब 70 घायल हो गए थे.

भारत, चीन को अपने मुद्दे सुलझाने के लिए बाहरी मदद की जरूरत नहीं: त्रिपक्षीय बैठक में रूस के विदेश मंत्री
भारत, चीन और रूस के विदेश मंत्रियों ने मंगलवार को वर्चुअल मीटिंग की

'भारत और चीन (India and China) को दोनों देशों के बीच लंबे समय से चल रहे मुद्दों को सुलझाने में बाहरी मदद की ज़रूरत नहीं है.' यह बात रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Russian Foreign Minister Sergei Lavrov) ने मंगलवार को RIC (रूस-भारत-चीन) के विदेश मंत्रियों की वर्चुअल मीटिंग में कही.पिछले हफ्ते पूर्वी लद्दाख की गालवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक संघर्ष (Ladakh Clash) के बाद व्‍याप्‍त तनाव के बीच लावरोव की यह टिप्‍पणी आई है. दोनों देशों के सैनिकों के हिंसक संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक को जान गंवानी पड़ी थी जबकि करीब 70 घायल हो गए थे. एक ऑफिसर सहित 40 से अधिक चीनी सैनिकों के भी इस संघर्ष में मारे जाने की खबर है. रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि भारत और चीन को बाहर से किसी तरह की मदद की जरूरत है. मुझे नहीं लगता कि उन्हें मदद करने की जरूरत है, खासकर जब देश का मुद्दा आता है." 

समाचार एजेंसी ANI के अनुसार लावरोव ने कहा, "नई दिल्ली और बीजिंग ने शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है. उन्होंने रक्षा अधिकारियों और विदेश मंत्रियों के स्तर पर बैठकें शुरू कीं है और ऐसा कोई बयान नहीं दिया है कि वे गैर-राजनयिक समाधानों के पक्षधर हैं." उधर, समाचार एजेंसी PTI के अनुसार, भारत शुरू में आज की त्रिपक्षीय बैठक में शामिल होने के लिए अनिच्छुक था, लेकिन मेजबान देश रूस के अनुरोध के बाद वह इसके लिए राजी हो गया.

बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने सभी देशों से अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करने और एक टिकाऊ विश्व व्यवस्था बनाने में मदद करने का आह्वान किया. चीन, या किसी अन्य देश का नाम लिए बिना उन्‍होंने "दुनिया के शीर्ष्र शक्तिशाली देशों से इस मामले में उदाहरण पेश करने का आग्रह किया. गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के आमने-सामने आने से दोनों देशों के संबंधों में तल्‍खी आ गई है.एनडीटीवी द्वारा हासिल किए गए सैटेलाइट चित्रों से पता चलता है कि चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी LAC के साथ लगी पोस्‍ट पर सैन्‍य तैनाती बढ़ाई है.

लद्दाख में हुई हिंसक झड़प को भारत ने "चीनी पक्ष द्वारा एकतरफा यथास्थिति को बदलने का प्रयास" बताया था, दूसरी ओर चीन ने भारतीय सैनिकों पर उसकी सीमा पर अनाधिकृत प्रवेश करने का आरोप लगाया था. इस बीच सेना के सूत्रों ने बताया दोनों देशों की सेनाएं ईस्टर्न लद्दाख से पीछे हटने को तैयार हो गई हैं. मंगलवार को सेना की ओर से कहा गया है कि सोमवार को दोनों देशों की ओर से गलवान घाटी में हुई झड़प और संघर्ष के दूसरे मुद्दों के लेकर लेफ्टिनेंट कमांडर स्तर पर बातचीत हुई, जिसमें दोनों देश 'सेना की वापसी के लिए आपसी सहमति' जताई. सेना ने कहा कि ये बातचीत बहुत ही सकारात्मक और बेहतर माहौल में हुई. (एएनआई और पीटीआई से इनपुट)

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