
प्रणब मुखर्जी (फाइल फोटो)
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प्रणब मुखर्जी की इस नागपुर यात्रा का राजनैतिक महत्व व्यापक है.
कहा जा रहा है कि इससे बीजेपी को फायदा होगा.
कांग्रेस गुस्से से आगबबूला हो रही है.
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RSS के मुखपत्र 'ऑर्गेनाइज़र' के पूर्व संपादक, BJP के राष्ट्रीय बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के पूर्व संयोजक तथा BJP की केंद्रीय प्रशिक्षण समिति व प्रकाशन समिति के सदस्य डॉ आर बालशंकर ने NDTV.com के लिए लिखे एक आलेख में कहा है कि विज़िटर्स बुक में RSS के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार को 'भारत माता का महान सपूत' लिखा जाना ऐसा दुर्लभ अवसर है, जब एक राष्ट्रीय नेता ने राष्ट्रनिर्माण में डॉ हेडगेवार के योगदान को स्वीकार किया है... डॉ आर बालशंकर के अनुसार, डॉ मुखर्जी के स्वागत में दिखाई गई गर्मजोशी तथा RSS प्रमुख (सरसंघचालक) मोहन भागवत व पूर्व राष्ट्रपति के बीच दिखी कैमिस्ट्री को लेकर लम्बे अरसे तक बहस की जाती रहेगी, लेकिन पूर्व राष्ट्रपति ने नागपुर पहुंचकर जो संदेश दिया है, उससे राष्ट्रीय अस्मिता के मामले में RSS नई ऊंचाइयों को छू गया है.
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डॉ बालशंकर का कहना है कि डॉ प्रणब मुखर्जी की इस नागपुर यात्रा का राजनैतिक महत्व व्यापक है, और अब कांग्रेस उस तरह संघ पर निशाना नहीं साध पाएगी, जिस तरह वह अब तक करती आई है... पूर्व राष्ट्रपति के इस दौरे से संघ की स्वीकार्यता तथा विश्वसनीयता बढ़ी है... 'ऑर्गेनाइज़र' के पूर्व संपादक ने लिखा है कि डॉ मुखर्जी तथा RSS प्रमुख के विचारों के बीच साम्यता का राष्ट्रीय महत्व काफी ज़्यादा है, और इससे ज़ाहिर होता है कि जब बात राष्ट्रवाद, देशभक्ति तथा एकता की होती है, सभी समझदार भारतीय एक ही जैसा सोचते हैं...
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'ऑर्गेनाइज़र' के पूर्व संपादक डॉ बालशंकर के अनुसार, डॉ मुखर्जी के इस दौरे से RSS राजनैतिक तथा सांगठनिक रूप से काफी लाभान्वित होगी... अब वह आने वाले समय में इसके बारे में गर्व से बात करती रह सकती है, और RSS को इससे भी ज़्यादा खुशी इस बात की होगी कि पूर्व राष्ट्रपति का भाषण बिल्कुल वैसा था, जैसा किसी संघ बौद्धिक का होता है... लगभग वही बातें कही गईं, जो RSS सरसंघचालक ने उसी मंच से कहीं... डॉ बालशंकर का कहना है कि आलोचकों ने शायद उम्मीद की होगी कि डॉ मुखर्जी धर्मनिरपेक्षता पर लम्बा लेक्चर देंगे, या RSS से असहमति के मुद्दों को सार्वजनिक रूप से उठाएंगे, लेकिन पूर्व राष्ट्रपति का भाषण दरअसल कांग्रेस के लिए सबक-सरीखा रहा.
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NDTV.com में लिखे गए आलेख में कहा गया है कि श्रीमती सोनिया गांधी के नेतृत्व में यह प्रचारित किया जाता रहा है कि 1950 में भारतीय संविधान को अगीकृत किए जाने के बाद ही भारत एक राष्ट्र के रूप में उभरा, जबकि डॉ मुखर्जी ने ज़ोर देकर कहा कि भारतीय संविधान दरअसल उन मूल्यों से उपजा उत्पाद है, जिन्हें देश और देशवासियों ने 5,000 साल तक संजोया और संभाले रखा.
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