 
                                            बिहार में रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड (RRB) की नॉन टेक्निकल पॉपुलर कैटेगरी (NTPC) की परीक्षा के रिजल्ट को लेकर छात्र नाराज हैं. वे बिहार के कई जिलों में आंदोलन कर रहे हैं. आरआरबी एनटीपीसी (RRB NTPC Exam) की परीक्षा के रिजल्ट में धांधली तथा ग्रुप डी की परीक्षा में एक की जगह दो परीक्षाएं आयोजित करने के तुगलकी फरमान के खिलाफ चल रहे छात्र-युवा आंदोलन के दबाव में रेलवे प्रशासन द्वारा आज पहले मामले में जांच कमेटी बनाने और ग्रुप डी की परीक्षा को स्थगित करने के दिए गए आश्वासन को झांसा बताते हुए 28 जनवरी को बिहार बंद को जारी रखने का आह्वान किया है.
आरजेडी के नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि 'पुलिस को रेलवे बहाली बोर्ड पर मुकदमा दर्ज करना चाहिए. इनके अध्यक्ष सहित तमाम सदस्यों को अभियुक्त बनाया जाना चाहिए. स्वयं रेलमंत्री ने कबूल किया है कि लड़कों की शिकायत जायज है. इस मामले में बहाली बोर्ड ने आपराधिक लापरवाही बरती है. इसी की वजह से लड़कों में उत्तेजना फैली. बहाली बोर्ड के पदाधिकारियों से मिलकर कोचिंग वालों ने गलती की ओर ध्यान दिला दिया था. बोर्ड से अनुरोध किया गया था कि गलती को सुधारें अन्यथा लड़के रेल की पटरियों पर उतर सकते हैं, लेकिन अफसरी अहंकार में बोर्ड वालों ने अपनी गलती नहीं सुधारी. फलस्वरूप परिणाम सबके सामने है. इसलिए पुलिस द्वारा कोचिंग चलाने वालों पर केस दर्ज करना बिलकुल गलत है. मैं मांग करता हूं कि कोचिंग वालों पर से मुकदमा हटाया जाए और बहाली बोर्ड के अध्यक्ष सहित सभी सदस्यों और पदाधिकारियों पर मुक़दमा दर्ज किया जाए.'
गौरतलब है कि इनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व विधायक मनोज मंजिल, आइसा के महासचिव व विधायक संदीप सौरभ, इनौस के मानद राज्य अध्यक्ष व विधायक अजीत कुशवाहा, इनौस के राज्य अध्यक्ष आफताब आलम, आइसा के राज्य अध्यक्ष विकास यादव, इनौस के राज्य सचिव शिवप्रकाश रंजन व आइसा के राज्य सचिव सब्बीर कुमार ने आज संयुक्त बयान जारी करके कहा कि 'अभ्यर्थियों द्वारा उठाए जा रहे सवालों पर किसी भी प्रकार का संदेह नहीं है. चरम बेरोजगारी की मार झेल रहे छात्र-युवाओं का यह व्यापक आंदोलन ऐसे वक्त खड़ा हुआ है, जब यूपी में चुनाव है. इसी के दबाव में सरकार व रेलवे का यह प्रस्ताव आया है और चुनाव तक इस मामले को टालने की साजिश रची जा रही है. लेकिन विगत 7 वर्षों से देश के युवा मोदी सरकार के छलावे को ही देखते आए हैं. और यही वजह है कि उनका गुस्सा इस स्तर पर विस्फोटक हुआ है. आइसा-इनौस नेताओं की मांग है कि रेल मंत्रालय 7 लाख संशोधित रिजल्ट फिर से प्रकाशित करे.आइसा-इनौस नेताओं ने तमाम अभ्यर्थियों से सरकार की असली मंशा को बेनकाब करने तथा 28 जनवरी के बिहार बंद को जोरदार ढंग से सफल बनाने का आह्वान किया.'
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