दिल्ली (Delhi) के रोहिणी कोर्ट (Rohini Court) में शुक्रवार जैसा नजारा शायद ही कभी देखा गया हो, जब वकील के भेस में आए दो बदमाशों ने एक कुख्यात अपराधी को कोर्ट रूम में ही मार गिराया. हालांकि दोनों बदमाश भी बच नहीं सके और सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें भी कुछ ही देर में ढेर कर दिया. रौंगटे खड़े कर देने वाली यह घटना तारीख 24/09/2021 को प्रशांत विहार थाने की FIR नंबर 583/2021 में दर्ज हो गई है. एसआई वीर सिंह ने विस्तार से उस खौफनाक घटना को एफआईआर में बताया है. आइए जानते हैं शूटआउट के दिन आखिर हुआ क्या था.
एफआईआर में एसआई वीर सिंह, 3 बटालियन ने बताया कि मेरा काम अलग अलग जेलों से अंडर ट्रायल कैदियों को अलग अलग कोर्ट में पेश करना है. दिनांक 24/09/2021 को मेरी ड्यूटी इंस्पेक्टर इंद्रलाल साहब के साथ मुलजिम हाई रिस्क जितेंद्र उर्फ गोगी को तिहाड़ जेल से रोहिणी कोर्ट में पेश करने की लगी थी. इस दौरान मुलजिम को पेश करने में SI राजेन्द्र, SI सुनील, कांस्टेबल जगदीश, कांस्टेबल कमांडो अमित, कांस्टेबल विवान साथ थे. उन्होंने बताया कि सुबह करीब 10 बजे दो मुलजिमों को तिहाड़ जेल से सरकारी गाड़ियों में बिठाकर 3 बटालियन गार्ड की कस्टडी में रोहिणी कोर्ट परिसर खारजा में बन्द किया था. एक मुलजिम अशरफ को कोर्ट नंबर 304 में पेश करने के बाद वापस खारजा में बन्द किया गया.
वीर सिंह ने बताया कि सूचना मिलने पर समय दोपहर करीब 1 बजकर 10 मिनट पर जितेंद्र उर्फ गोगी को कोर्ट नंबर 207 में पेशी के लिए पहुंचे. उन्होंने बताया कि गोगी हाई रिस्क केटेगरी का मुल्जिम था, इसलिए 3 बटालियन के डीसीपी के अनुसार, एक रात पहले ही दिल्ली पुलिस की सभी इकाइयों जैसे जिला पुलिस, स्पेशल सेल आदि को गोगी के पेश होने की सूचना दी गई थी ताकि उसे उचित सुरक्षा में पेश किया जा सके.
एफआईआर के मुताबिक वीर सिंह ने बताया, जितेन्द्र उर्फ गोगी को कोर्ट नंबर 207 में पेश किया और अन्य स्टाफ को कोर्ट रूम के आसपास तैनात किया गया. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गगन दीप सिंह कोर्ट की सुनवाई में व्यस्त थे. उस वक्त कोर्ट रूम में कोर्ट स्टाफ के अलावा पांच से 6 वकील भी थे.
वीर सिंह ने बताया कि अचानक से कुर्सियां से दो व्यक्ति वकील की वेशभूषा में उठे तथा दोनों ने अपने हथियार निकाल कर जितेन्द्र उर्फ गोगी को निशाना बनाकर ताबड़तोड़ गोलियां चलानी शुरू कर दी. सिंह ने बताया कि जब तक हम रिएक्ट कर पाते तब तक जितेंद्र उर्फ गोगी को कई गोलियां लग चुकी थी, दोनों व्यक्तियों के हाथों में हथियार थे और दोनों अंधाधुंध गोलियां चला रहे थे.
वीर सिंह ने बताया कि उन्हें पकड़ना संभव नहीं था और वहां पर जज साहब, अन्य कोर्ट स्टाफ व वकील मौजूद थे और किसी की भी जान जा सकती थी. इसलिए सभी की सुरक्षा और जानमाल की हिफाजत के लिए तुरंत मैंने और कमांडों कांस्टेबल शक्ति और कांस्टेबल चिराग ने कार्रवाई की. दोनों बदमाशों के सर पर खून सवार था, इसलिए हमने अपने हथियार से उन बदमाशों पर तुरंत गोली चला दी. उसी दौरान वहां पर सुरक्षाबल भी पहुंचे और कार्रवाई की.
वीर सिंह के मुताबिक, अगर वकील की वेशभूषा में आए बदमाशों के खिलाफ फौरी कार्यवाही नहीं की जाती तो कई निर्दोष लोगों की जान जा सकती थी. उन्होंने बताया कि मैंने इंस्पेक्टर इंद्रलाल साहब के कहने पर तुरंत पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दी तथा जितेंद्र उर्फ गोगी को घायल अवस्था में BSA अस्पताल में एम्बुलेंस से शिफ्ट किया, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया.
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