कोरोनावायरस (Coronavirus) संकट के बीच बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने बीजेपी और जेडीयू सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार चलाने वाले कोरोना से कम खतरनाक नहीं हैं. कोरोना के चलते हमने देश में दर्द भरी तस्वीरें देखी हैं. कोरोना जितना खतरनाक है, इस देश के अधिकारी उससे कम खतरनाक नहीं हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरीके से कोरोना नुकसान पहुंचा रहा है, देश की सरकार भी लोगों को उसी तरह का नुकसान पहुंचा रही है. इस दौरान, उन्होंने आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की सेहत को लेकर भी जिक्र किया.
तेजस्वी यादव ने बिहार लौटे प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर एनडीटीवी से बातचीत करते हुए कहा कि हमने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री से बात की थी. हमें आर्थिक मोर्चे पर एक बैकअप योजना बनानी चाहिए. प्रवासियों का कहना है कि वे अब दूसरे राज्य नहीं जाएंगे. बिहार के मजदूरों के साथ जो बर्ताव हुआ उसको लेकर हम उनके साथ खड़े हैं. उन्हें यही रोजगार मिले इस पर ध्यान देना चाहिए. मनरेगा के तहत, इनको काम दिया जा सकता है. बिहार में ना तो उद्योग हैं और ना ही इंडस्ट्री है, चीनी मिल थी तो ठप हो चुकी हैं. बंद पड़े कारखानों को सरकार को खुलवाना चाहिए. खेती से जुड़े कामों पर फोकस करना होगा. सरकारी भर्ती में Domicile कानून लागू हो. यदि इच्छाशक्ति हो तो हम ये सब काम कर सकते हैं.
विदेश नागरिक की मदद के सवाल पर आरजेडी नेता ने कहा कि उन्हें और उनकी टीम को सोशल मीडिया के जरिये विदेशी नागरिक के बारे में पता चला था. उसे जहां रखा गया था वहां की हालत बहुत खराब थी. उसका पेन कार्ड भी चोरी हो गया था. इससे हमारे देश का दुनिया में नाम खराब होता. हमने उनकी मदद की. खाने-पीने से लेकर जहां तक संभव हो सका. अपने विधायक को भेजा. अधिकारियों को इसकी जानकारी दी.
तेजस्वी ने कहा कि विपक्ष की जिम्मेदारी है कि जो कमियां हैं उन्हें दूर करें. हम ऐसा ही करने की कोशिश कर रहे हैं. जब बिहार सरकार ने अपने मजूदरों के लिए ट्रेन चलाने से हाथ खींच लिए तो हमने मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाए थे. बसों को लेकर भी हमने मदद की बात कही थी. उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के समय में राजनीति नहीं होनी चाहिए. हम सब को एकजुट होकर इस बीमारी से लड़ना चाहिए.
बिहार की स्वास्थ्य सुविधा कोरोना से लड़ने में सक्षम होने के सवाल पर तेजस्वी ने कहा कि हमने बिहार सरकार से पूछा था कि कितने वेंटिलेटर्स हैं. कितने वेंटिलेटर्स की जरूरत होगी. बिहार सरकार क्रियान्वयन के मोर्चे पर कंफ्यूज रही. सभी राज्य प्रवासी मजदूरों को निकाल रहे थे. मदद कर रहे थे. बिहार सरकार राशन पहुंचाने में नाकाम रही. हमने दूसरे राज्यों में फंसे अपने प्रवासियों को राशन पहुंचाने में मदद की.
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