लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन संविधान पर रखी गई चर्चा के दौरान लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने चेताया कि अगर देश का संविधान बदलने की कोशिश की गई, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।
खड़गे ने साथ ही आरोप लगाया कि आरएसएस आरक्षण मामले में संविधान प्रदत्त अधिकार को बदलने की बात कह रही है और ऐसा हुआ तो हम उसका पूरी ताकत से विरोध करेंगे। इस पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि कोई संविधान नहीं बदल सकता, यह बात आप भी जानते हैं।
संसदीय कार्यवाही से हटाया गया खड़गे का कहा शब्द
खड़गे ने अपनी बात रखते हुए एक शब्द का इस्तेमाल किया, जिस पर सत्तापक्ष ने भारी आपत्ति जतायी और लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने उसे संसदीय कार्यवाही की रिकॉर्डिंग से हटाने के निर्देश दिए।
राजनाथ ने जताई धर्मनिरपेक्ष शब्द पर आपत्ति
इससे पहले केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द का राजनीति में सबसे अधिक गलत इस्तेमाल होता है और अगर इसकी जरूरत होती तो संविधान निर्माता संविधान में 'समाजवादी व धर्मनिरपेक्ष' जैसे शब्दों का इस्तेमाल जरूर करते। उन्होंने कहा कि इसे बाद में संविधान की प्रस्तावना में जोड़ा गया। अगर ये ज़रूरी होता तो डॉ. अंबेडकर पहले ही इसे प्रस्तावना में शामिल कर लेते। सेकुलर शब्द का सही अनुवाद धर्मनिरपेक्ष नहीं, पंथनिरपेक्ष। (पढ़ें- राजनाथ ने आमिर पर कसा ताना)
कांग्रेस नेता खड़गे ने राजनाथ का विरोध किया। उन्होंने कहा कि अंबेडकर इन शब्दों को प्रस्तावना में ही शामिल करना चाहते थे, लेकिन उस वक्त के माहौल के कारण वे ऐसा नहीं कर सके थे।
खड़गे ने साथ ही आरोप लगाया कि आरएसएस आरक्षण मामले में संविधान प्रदत्त अधिकार को बदलने की बात कह रही है और ऐसा हुआ तो हम उसका पूरी ताकत से विरोध करेंगे। इस पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि कोई संविधान नहीं बदल सकता, यह बात आप भी जानते हैं।
संसदीय कार्यवाही से हटाया गया खड़गे का कहा शब्द
खड़गे ने अपनी बात रखते हुए एक शब्द का इस्तेमाल किया, जिस पर सत्तापक्ष ने भारी आपत्ति जतायी और लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने उसे संसदीय कार्यवाही की रिकॉर्डिंग से हटाने के निर्देश दिए।
राजनाथ ने जताई धर्मनिरपेक्ष शब्द पर आपत्ति
इससे पहले केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द का राजनीति में सबसे अधिक गलत इस्तेमाल होता है और अगर इसकी जरूरत होती तो संविधान निर्माता संविधान में 'समाजवादी व धर्मनिरपेक्ष' जैसे शब्दों का इस्तेमाल जरूर करते। उन्होंने कहा कि इसे बाद में संविधान की प्रस्तावना में जोड़ा गया। अगर ये ज़रूरी होता तो डॉ. अंबेडकर पहले ही इसे प्रस्तावना में शामिल कर लेते। सेकुलर शब्द का सही अनुवाद धर्मनिरपेक्ष नहीं, पंथनिरपेक्ष। (पढ़ें- राजनाथ ने आमिर पर कसा ताना)
कांग्रेस नेता खड़गे ने राजनाथ का विरोध किया। उन्होंने कहा कि अंबेडकर इन शब्दों को प्रस्तावना में ही शामिल करना चाहते थे, लेकिन उस वक्त के माहौल के कारण वे ऐसा नहीं कर सके थे।
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