वस्तु एवं सेवाकर बिल यानी जीएसटी को लागू करने के पीछे सरकार की ओर से दावा किया गया है कि इससे 'अच्छे दिन' आ जाएंगे. जीएसटी लागू होने के 15 दिन बाद जो आंकड़े आए हैं उससे तो लग रहा है कि कम से कम सरकार के अच्छे दिन आ गए हैं. जीएसटी को लेकर किए जा रहे विरोध पर सरकार का शुरू से ही कहना रहा है कि इससे भारत की अर्थव्यवस्था 'एक बाजार' प्रणाली पर आएगी. विकास दर बढ़ेगी और रोजगार के नए रास्ते खुलेंगे.
15 दिन में बढ़ा राजस्व
जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) लागू होने के बाद राजस्व में कितनी बढ़ोतरी हुई है, इसकी सटीक जानकारी अक्टूबर से पहले नहीं मिल पाएगी, जब नई अप्रत्यक्ष व्यवस्था अपनी पहली तिमाही पूरी करेगी. लेकिन लागू होने के पहले 15 दिनों के आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि राजस्व में महीने-दर-महीने आधार पर 11 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने यह जानकारी दी है. सीबीईसी ने कहा कि एक जुलाई से 15 जुलाई के बीच आयात से प्राप्त कुल राजस्व 12,673 करोड़ रुपये रहा, जबकि जून महीने में समान अवधि में यह 11,405 करोड़ रुपये था.
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अक्टूबर में आएंगे सही आंकड़े
सीबीईसी की प्रमुख वनजा सरना ने जीएसटी से प्राप्त कुल राजस्व के बारे में कहा कि इसका पहला अनुमान अक्टूबर तक ही मिल पाएगा, क्योंकि व्यापारी सितंबर में रिटर्न दाखिल करेंगे. हालांकि जीएसटी की दरों को 'राजस्व तटस्थ' रखा गया है, ताकि कर की दरें पहले जितनी थीं, उतनी ही रहें। सरना ने कहा कि जरूरी नहीं है कि इससे राजस्व वृद्धि में किसी प्रकार की गिरावट ही आएगी.
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व्यापारियों को लाभ का दावा
सीबीईसी की प्रमुख वनजा सरना ने कहा, 'इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ व्यापारियों को मिलेगा, लेकिन कर आधार में बढ़ोतरी से राजस्व को कोई नुकसान नहीं होगा. हालांकि डिजिटीकरण से कर आधार में तेजी से वृद्धि हो रही है, लेकिन अभी इस पर कुछ कहना जल्दबाजी होगी.'
( इनपुट आईएनएस से )
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