नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काम कर रहे शीर्ष लोगों की तनख्वाह, यानी वेतन सूचना के अधिकार के कानून (राइट टु इन्फॉर्मेशन एक्ट) के तहत प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा ही सार्वजनिक कर दिया गया है.
सबसे ज़्यादा वेतन पाने वाले अधिकारी प्रधानमंत्री के सचिव भास्कर खुल्बे हैं, जिन्हें लगभग दो लाख रुपये प्रतिमाह वेतन के रूप में दिए जाते हैं. प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्र, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल तथा अतिरिक्त प्रधान सचिव पीके मिश्र को एक समान 1,62,500 रुपये प्रतिमाह वेतन के रूप में दिए जाते हैं.
हालांकि कुछ संयुक्त सचिवों का वेतन इस रकम से कुछ ज़्यादा 1.70 लाख रुपये प्रतिमाह है. संयुक्त सचिवों में सबसे अधिक वेतन पाने वाले तरुण बजाज हैं, जिन्हें 1,77,750 रुपये प्रतिमाह दिए जाते हैं.
सबसे कम वेतन 17,000 रुपये प्रतिमाह है, जो उस शख्स के नाम के साथ लिखा हुआ है, जिसे 'मल्टीटास्किंग स्टाफ' का दर्जा दिया गया है.
यह जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट पर 1 जून को पोस्ट की गई थी.
वैसे, प्रधानमंत्री कार्यालय में कार्यरत कर्मियों और अधिकारियों के वेतन उस समय भी सार्वजनिक किए गए थे, जब डॉ मनमोहन सिंह की सरकार सत्तासीन थी.
'स्वेच्छा से दी गई जानकारी' (Proactive disclosures) का तात्पर्य यही है कि सरकार अपनी ओर से वे सूचनाएं मुहैया कराती है, जिन्हें जानने का जनसाधारण सबसे ज़्यादा इच्छुक है.
सबसे ज़्यादा वेतन पाने वाले अधिकारी प्रधानमंत्री के सचिव भास्कर खुल्बे हैं, जिन्हें लगभग दो लाख रुपये प्रतिमाह वेतन के रूप में दिए जाते हैं. प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्र, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल तथा अतिरिक्त प्रधान सचिव पीके मिश्र को एक समान 1,62,500 रुपये प्रतिमाह वेतन के रूप में दिए जाते हैं.
हालांकि कुछ संयुक्त सचिवों का वेतन इस रकम से कुछ ज़्यादा 1.70 लाख रुपये प्रतिमाह है. संयुक्त सचिवों में सबसे अधिक वेतन पाने वाले तरुण बजाज हैं, जिन्हें 1,77,750 रुपये प्रतिमाह दिए जाते हैं.
सबसे कम वेतन 17,000 रुपये प्रतिमाह है, जो उस शख्स के नाम के साथ लिखा हुआ है, जिसे 'मल्टीटास्किंग स्टाफ' का दर्जा दिया गया है.
यह जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट पर 1 जून को पोस्ट की गई थी.
वैसे, प्रधानमंत्री कार्यालय में कार्यरत कर्मियों और अधिकारियों के वेतन उस समय भी सार्वजनिक किए गए थे, जब डॉ मनमोहन सिंह की सरकार सत्तासीन थी.
'स्वेच्छा से दी गई जानकारी' (Proactive disclosures) का तात्पर्य यही है कि सरकार अपनी ओर से वे सूचनाएं मुहैया कराती है, जिन्हें जानने का जनसाधारण सबसे ज़्यादा इच्छुक है.
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