गुजरात : सवर्ण गरीबों के लिए राज्य सरकार ने आरक्षण दिया, लेकिन 75 फीसदी सीटें खाली

गुजरात : सवर्ण गरीबों के लिए राज्य सरकार ने आरक्षण दिया, लेकिन 75 फीसदी सीटें खाली

प्रतीकात्मक फोटो।

खास बातें

  • प्रोफेशनल कोर्सों की 35 प्रतिशत सीटें ही भ पाईं
  • इंजीनियरिंग में सीटें 7000, प्रवेश लिया 2500 ने
  • आरक्षण को कानूनी मान्यता मिलने का सवाल
अहमदाबाद:

गुजरात में पाटीदारों के आरक्षण की मांग को लेकर हुए बड़े आंदोलन के बाद राज्य सरकार ने पटेलों की नाराज़गी को कम करने के लिए सवर्ण गरीबों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा करके उसे इसी साल लागू भी कर दिया। सबसे पहले कोलेजों में एडमिशन के लिए इस 10 प्रतिशत आरक्षण को लागू कर दिया गया है। लेकिन राज्य में इंजीनियरिंग समेत सभी प्रोफेशनल कोर्सों के मोक एडमीशन राउंड खत्म होने के बाद भी मुश्किल से 35 प्रतिशत सीटें ही भर पाई हैं।

कॉमर्स की 3000 सीटें, एडमीशन लिया 550 ने
राज्य में इंजीनियरिंग के लिए 7000 सीटें 'ईबीसी' कोटा के लिए आरक्षित रखी गई थीं लेकिन सिर्फ 2500 छात्रों ने ही एडमीशन लिया। कॉमर्स में 3000 सीटें आरक्षित थीं लेकिन मुश्किल से 550 छात्रों ने ही एडमीशन लिया। इस बीच सिर्फ बीएससी में 850 सीटों के मुकाबले करीब 700 से ज्यादा ने एडमीशन लिए।

इंजीनियरिंग की सीटें ज्यादा
एडमीशन कमेटी के मेम्बर सेक्रेटरी जीपी वडोदरिया का कहना है कि छात्रों के लिए कुल इंजीनियरिंग की सीटें ज्यादा हो गई हैं इसलिए इतनी सीटें खाली रह गईं। तो सवाल यह उठता है कि क्या सवर्ण समाज को आरक्षण की जरूरत नहीं है और राज्य सरकार ने बिना किसी अभ्यास के आरक्षण दे दिया?

जोखिम मोल लेना नहीं चाहते विद्यार्थी
आंदोलनकारी पाटीदार समाज के नेता कहते हैं कि लोग ज्यादा फायदा इसलिए लेने से कतरा रहे हैं क्योंकि सभी को लगता है कि जाटों की तरह इस आरक्षण को भी कानूनी मान्यता नहीं मिल पाएगी। ऐसे में कोई जोखिम मोल नहीं लेना चाहता। पाटीदार नेता वरूण पटेल का कहना है कि 'लोग यह जानते हैं कि इसमें एडमीशन लेकर बाद में फंसना है। एडमीशन केंसिल होगा.. वगैरह। और लोगों को सरकार पर और ईबीसी पर थोड़ा भी यकीन नहीं है। हमें ऐसा आरक्षण चाहिए जो संवैधानिक तरीके से कोर्ट में टिक सके और उसका जेन्युइन फायदा हो।'

इस बीच कोर्ट में ईबीसी कोटा दिए जाने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई जारी है।


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