मुंबई:
मुंबई के मानखुर्द महिला सुधारगृह की एक और चौंकाने वाली खबर सामने आई है। पूर्व मजिस्ट्रेट स्वाती चौहान की 40 पन्नों की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रात होते ही मानखुर्द के महिला सुधारगृह में घुसपैठ होती है।
यह रिपोर्ट बॉम्बे हाईकोर्ट सौंपी गई है, जो महिला सुधारगृह की सच्ची कहानी बयान करने के लिए काफी है। 26 नवंबर 2012 को हाईकोर्ट ने चौहान को सुधारगृह की स्थिति पर रिपोर्ट बनाने को कहा था। चौहान ने सुधारगृह की महिलाओं का सेक्शन 164 के तहत बयान दर्ज करवाया है, जो अदालती कार्रवाई में सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। सेक्शन 164 में कई महिलाओं ने नवजीवन सुधारगृह में होने वाली गड़बड़ियों का खुलासा किया है।
रिपोर्ट मे दावा किया गया है कि सुधारगृह अंडर स्टाफ है और राज्य सरकार द्वारा नियुक्त स्टाफ बिना ट्रेनिंग के ही नियुक्त किया गया है। आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए स्टाफ को किसी भी प्रकार की ट्रेनिंग नहीं दी गई है। चौहान ने अपनी रिपोर्ट में पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठाए हैं।
चौहान ने कहा है कि किसी भी तरह के मॉस रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम देने से पहले पुलिस को पूरी तैयारी करनी चाहिए, बिना प्लानिंग के महिलाओं को जिस तरह से सुधारगृह भेजा जाता है वह उनके लिए किसी सजा से कम नहीं है।
चौहान ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि किसी भी पीड़ित को सुधारगृह में तीन हफ्तों से ज्यादा वक्त तक न रखा जाए जब तक अदालत उसे हिरासत में रखने का आदेश देती हो। चीफ जस्टिस मोहित शाह और जस्टिस नितिन जामदार की डिविजन बेंच ने राज्य सरकार को रिपोर्ट पर अपना पक्ष रखने को कहा है।
यह रिपोर्ट बॉम्बे हाईकोर्ट सौंपी गई है, जो महिला सुधारगृह की सच्ची कहानी बयान करने के लिए काफी है। 26 नवंबर 2012 को हाईकोर्ट ने चौहान को सुधारगृह की स्थिति पर रिपोर्ट बनाने को कहा था। चौहान ने सुधारगृह की महिलाओं का सेक्शन 164 के तहत बयान दर्ज करवाया है, जो अदालती कार्रवाई में सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। सेक्शन 164 में कई महिलाओं ने नवजीवन सुधारगृह में होने वाली गड़बड़ियों का खुलासा किया है।
रिपोर्ट मे दावा किया गया है कि सुधारगृह अंडर स्टाफ है और राज्य सरकार द्वारा नियुक्त स्टाफ बिना ट्रेनिंग के ही नियुक्त किया गया है। आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए स्टाफ को किसी भी प्रकार की ट्रेनिंग नहीं दी गई है। चौहान ने अपनी रिपोर्ट में पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठाए हैं।
चौहान ने कहा है कि किसी भी तरह के मॉस रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम देने से पहले पुलिस को पूरी तैयारी करनी चाहिए, बिना प्लानिंग के महिलाओं को जिस तरह से सुधारगृह भेजा जाता है वह उनके लिए किसी सजा से कम नहीं है।
चौहान ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि किसी भी पीड़ित को सुधारगृह में तीन हफ्तों से ज्यादा वक्त तक न रखा जाए जब तक अदालत उसे हिरासत में रखने का आदेश देती हो। चीफ जस्टिस मोहित शाह और जस्टिस नितिन जामदार की डिविजन बेंच ने राज्य सरकार को रिपोर्ट पर अपना पक्ष रखने को कहा है।
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