जगदीश टाइटलर (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
1984 के सिख विरोधी दंगा में पूर्व कांग्रेसी सांसद जगदीश टाइटलर की कथित भूमिका मामले में नया मोड़ आया है। अकाली दल की याचिका पर सीबीआई ने कोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए कहा है कि वो मामले की फिर से जांच करने को तैयार है। अकाली दल ने कोर्ट में रेशम सिंह, आलम सिह और चंचल सिंह नाम के तीन गवाहों के नाम देकर जांच कराने की मांग की थी। इससे पहले सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी।
जज की छुट्टी की वजह से सुनवाई टल गई है और अब इस मामले में 4 दिसंबर को फैसला आएगा। इससे पहले कड़कड़डूमा कोर्ट ने 30 अक्टूबर को सीबीआई और पीड़ितों की बहस सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। पीड़ितों ने सीबीआई के जगदीश टाइटलर को तीन बार क्लीन चिट देने के मामले में प्रोटेस्ट पेटिशन दाखिल की थी।
उनका कहना है कि इस मामले में टाइटलर के खिलाफ पर्याप्त सबूत होने के बावजूद सीबीआई उन्हें बचा रही है। शिकायतकर्ता लखविंदर कौर ने अपनी याचिका में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी है और कोर्ट से मांग की है कि वो सीबीआई को आगे जांच कर सारा रिकार्ड उपलब्ध कराए।
वहीं, सीबीआई का कहना है कि उसकी जांच में ये साफ हो चुका है कि टाइटलर की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है। सीबीआई ने ये भी कहा है कि सिर्फ आरोपों और भावनाओं के आधार पर किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
गवाह को प्रभावित करने के मामले में जांच की मांग
हालांकि पीड़ितों ने कोर्ट से टाइटलर के खिलाफ गवाह को प्रभावित करने और हवाला के जरिए रुपये भेजने पर FIR दर्ज कर जांच के आदेश देने की मांग भी की है, लेकिन सीबीआई का कहना है कि ये दावा हथियारों के डीलर अभिषेक वर्मा ने किया था और उसकी बातों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। ऐसे में टाइटलर के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया जा सकता।
क्या है मामला
कोर्ट में चल रहा ये मामला दिल्ली के पुल बंगश का है। 1 नवंबर 1984 को यहां गुरद्वारे में बादल सिह, ठाकुर सिंह और गुरचरण सिंह की हत्या कर दी गई थी। इसमें टाइटलर को आरोपी बनाया गया, लेकिन बाद में सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी। हालांकि 2007 में कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को नामंजूर करते हुए सीबीआई को जांच के आदेश जारी किए थे। हालांकि टाइटलर ने तमाम आरोपों को बेबुनियाद बताया है। वहीं, फुल्का ने अकाली दल पर राजनीति करने का आरोप लगाया है।
जज की छुट्टी की वजह से सुनवाई टल गई है और अब इस मामले में 4 दिसंबर को फैसला आएगा। इससे पहले कड़कड़डूमा कोर्ट ने 30 अक्टूबर को सीबीआई और पीड़ितों की बहस सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। पीड़ितों ने सीबीआई के जगदीश टाइटलर को तीन बार क्लीन चिट देने के मामले में प्रोटेस्ट पेटिशन दाखिल की थी।
उनका कहना है कि इस मामले में टाइटलर के खिलाफ पर्याप्त सबूत होने के बावजूद सीबीआई उन्हें बचा रही है। शिकायतकर्ता लखविंदर कौर ने अपनी याचिका में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी है और कोर्ट से मांग की है कि वो सीबीआई को आगे जांच कर सारा रिकार्ड उपलब्ध कराए।
वहीं, सीबीआई का कहना है कि उसकी जांच में ये साफ हो चुका है कि टाइटलर की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है। सीबीआई ने ये भी कहा है कि सिर्फ आरोपों और भावनाओं के आधार पर किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
गवाह को प्रभावित करने के मामले में जांच की मांग
हालांकि पीड़ितों ने कोर्ट से टाइटलर के खिलाफ गवाह को प्रभावित करने और हवाला के जरिए रुपये भेजने पर FIR दर्ज कर जांच के आदेश देने की मांग भी की है, लेकिन सीबीआई का कहना है कि ये दावा हथियारों के डीलर अभिषेक वर्मा ने किया था और उसकी बातों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। ऐसे में टाइटलर के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया जा सकता।
क्या है मामला
कोर्ट में चल रहा ये मामला दिल्ली के पुल बंगश का है। 1 नवंबर 1984 को यहां गुरद्वारे में बादल सिह, ठाकुर सिंह और गुरचरण सिंह की हत्या कर दी गई थी। इसमें टाइटलर को आरोपी बनाया गया, लेकिन बाद में सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी। हालांकि 2007 में कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को नामंजूर करते हुए सीबीआई को जांच के आदेश जारी किए थे। हालांकि टाइटलर ने तमाम आरोपों को बेबुनियाद बताया है। वहीं, फुल्का ने अकाली दल पर राजनीति करने का आरोप लगाया है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं