पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने मंगलवार को कहा कि वह संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन केंद्र को पहले इस विवादास्पद कानून को वापस लेना होगा. भाजपा (BJP) की कटु आलोचक ममता ने कहा कि केंद्र के फैसलों के खिलाफ प्रदर्शन करने से विपक्षी पार्टियां राष्ट्र विरोधी नहीं हो जातीं. उन्होंने एक बार फिर से कहा कि वह राज्य में सीएए, राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) या राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) लागू नहीं करेंगी. उन्होंने कहा, 'यदि वह (प्रधानमंत्री) सचमुच में सीएए पर वार्ता शुरू करने में रुचि रखते हैं तो यह अच्छा है. उन्हें (भाजपा को) अवश्य ही सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए. उन्होंने (केंद्र ने) कश्मीर या सीएए पर फैसला करने से पहले सर्वदलीय बैठक नहीं बुलाई. फैसला लेने से पहले उन्हें सभी दलों के साथ विचार विमर्श करना चाहिए था.'
ममता ने पेंटिंग के जरिए सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, 'हम बातचीत के लिए तैयार हैं लेकिन पहले सीएए वापस लिया जाए.' मुख्यमंत्री ने कहा, 'यदि केंद्र बातचीत के लिए तैयार है तो उसे पहले सीएए रद्द करना चाहिए. अगर वे इसे रद्द करते हैं तभी हम खुलकर बात कर सकते हैं. प्रधानमंत्री को देशवासियों में विश्वास बहाल करने की जरूरत है. उन्हें हमें यह भरोसा दिलाने की जरूरत है कि सीएए को रद्द कर दिया जाएगा और एनपीआर तथा एनआरसी का विचार छोड़ दिया जाएगा.'
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार द्वारा सीएए पर सर्वदलीय बैठक बुलाया जाना बाकी है तथा प्रधानमंत्री ने पिछले महीने स्पष्ट रूप से कहा था कि उनकी सरकार ने अखिल भारतीय एनआरसी से जुड़े किसी प्रस्ताव के बारे में चर्चा नहीं की है. ममता ने भाजपा पर प्रहार करते हुए कहा, 'वे हर वक्त पाकिस्तान का महिमामंडन क्यों करते हैं? मुझे अपने देश पर गर्व है. मैं नहीं जानती कि क्या भाजपा पाकिस्तान का ब्रांड एंबेसडर बन गई है, क्योंकि वे हमेशा उसकी बातें करते हैं और हिंदुस्तान का जिक्र कम करते हैं.'
नागरिकता कानून के खिलाफ अब पश्चिम बंगाल सरकार भी विधानसभा में लाएगी प्रस्ताव
ममता के बयान पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए प्रदेश भाजपा प्रमुख दिलीप घोष ने कहा कि ममता और तृणमूल कांग्रेस उस वक्त क्या कर रही थी जब विधेयक को चर्चा के लिए संसद के पटल पर रखा गया था. पश्चिम बंगाल विधानसभा ने सोमवार को सीएए के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया. इस तरह, ऐसा करने वाला वह केरल, पंजाब और राजस्थान के बाद चौथा राज्य बन गया. बता दें कि राज्य विधानसभा ने 6 सितंबर 2019 को एनआरसी के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया था.
VIDEO: नागरिकता कानून के खिलाफ आखिर क्या है विपक्ष की रणनीति?
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं