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This Article is From Sep 29, 2012

आडवाणी ने बीजेपी से कहा, धर्मनिरपेक्षता पर साथी दलों की शंका दूर करें

आडवाणी ने बीजेपी से कहा, धर्मनिरपेक्षता पर साथी दलों की शंका दूर करें
फरीदाबाद: समय से पहले चुनाव होने की आहट महसूस करते हुए बीजेपी ने अधिक से अधिक दलों को अपने पाले में लाने और प्रभाव क्षेत्र बढ़ाने की कवायद में धर्मनिरपेक्षता के प्रति सहयोगी पार्टियों की आशंकाओं को दूर करने और अल्पसंख्यकों के प्रति किसी तरह के भेदभाव या अन्याय की भावना नहीं होने का भरोसा दिलाने का प्रयास किया।

इस महीने की 26 तारीख से शुरू हुई बीजेपी की एक-दिवसीय कार्यकारिणी और दो-दिवसीय राष्ट्रीय परिषद की बैठक में विचार मंथन के बाद शुक्रवार को समापन संदेश में पार्टी के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी ने आगाह किया, हमें अपने बड़े सहयोगी दलों को पुन: आश्वासन देना होगा कि उन्हें बीजेपी के साथ सहयोग करने के बारे में किसी प्रकार की कोई आशंका नहीं होनी चाहिए। इसके लिए धर्मनिरपेक्षता के प्रति हमारी वचनबद्धता को पुन: इस ढंग से प्रस्तुत किए जाने की आवश्यकता है, जिससे उनकी आशंकाएं निर्मूल साबित हो सकें।

कट्टर हिन्दुत्व के चेहरे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने की संभावनाओं पर सहयोगी दल जेडीयू की कड़ी मुखाफलत के बीच आडवाणी के इस बयान को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पार्टी के प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करने की रणनीति का संकेत देते हुए आडवाणी ने यह भी कहा कि हमें अल्पसंख्यक समुदाय के अपने बंधुओं को दृढ़ता से यह आश्वासन पुन: देना चाहिए कि पार्टी के विचारों में उनके साथ किसी प्रकार का भेदभाव या अन्याय की कोई भावना नहीं है।

आडवाणी ने 2014 से पहले ही मनमोहन सिंह सरकार के गिरने की भविष्यवाणी करते हुए पार्टी से कहा कि वह आगामी लोकसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों का चयन शुरू कर दे। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार 'वेंटिलेटर' पर है और यह जितनी जल्दी चली जाए, देश के लिए उतना ही अच्छा होगा।

उन्होंने कहा कि अब तो यूपीए के कुछ सहयोगी ही चाहते हैं कि यह सरकार जितनी जल्दी जाए, उतना अच्छा है। आज यह लगभग निश्चित सा लग रहा है कि एक साल के पहले ही इसका 'लाइफ सपोर्ट' खत्म हो जाए और यह चली जाए। चुनावी मोड में जाने की तैयारी में पार्टी की छवि सुधारने के प्रति आगाह करते हुए उन्होंने कर्नाटक सहित बीजेपी शासित कुछ राज्यों में भ्रष्टाचार के आरोपों की पृष्ठभूमि में कहा कि पार्टी जहां शासन में है, वहां भ्रष्टाचार नहीं होना चाहिए।

इसके अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की इच्छा को समझते हुए राष्ट्रीय परिषद ने पार्टी के विधान में संशोधन करके पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी को लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए चुने जाने का रास्ता साफ कर दिया। वह दिसंबर, 2012 में पहला कार्यकाल समाप्त होने के बाद दिसंबर, 2015 तक के लिए फिर से अध्यक्ष चुन लिए जाएंगे।

बीजेपी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की कड़ी आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि उनके नेतृत्व में न केवल भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है, बल्कि उसके दोषियों को बचाया जा रहा है और इस कदाचार को सामने लाने वाली संवैधानिक संस्थाओं पर प्रहार किया जा रहा है।

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