
पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम (P Chidambaram) ने रिजर्व बैंक (Reserve Bank) के उस प्रस्ताव की कड़े शब्दों में निंदा की है जिसमें कारपोरेट जगत को बैकिंग सेक्टर में एंट्री और बैंक स्थापित करने की इजाजत दी गई है. उन्होंने इसे बैंकिंग इंडस्ट्री पर कंट्रोल की बड़ी योजना का खतरनाक एजेंडा करार दिया है. उन्होंने कहा कि यदि इस प्रस्ताव को क्रियान्वित किया गया तो देश के आर्थिक संसाधनों का बड़ा हिस्सा कारपोरेट सेक्टर के हाथों के चला जाएगा.
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चिदंबरम ने एक वीडियो, जिसे सोशल मीडिया पर काफी शेयर किया जा रहा है, में कहा, 'बैंकिंग इंडस्ट्री में कुल 140 लाख करोड़ रुपये डिपॉजिट है, यदि बिजनेस घरानों को अपना बैंक खोलने की इजाजत दी गई तो वे छोटी समता निवेश (small equity investment) से ही देश के वित्तीय संसाधनों की बहुत बड़ी राशि को नियंत्रित करने की स्थिति में होंगे.' पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि यह मोदी सरकार का देश के बिजनेस घरानों को फायदा पहुंचाने का एक और उदाहरण है. उन्हें कहा कि यदि प्रस्ताव पर अमल हुआ तो इस बात में कोई शक नहीं कि राजनीतिक संपर्क वाले बिजनेस घराने सबसे पहले लाइसेंस हासिल कर लेंगे और अपना एकाधिकार स्थापित कर लेंगे.
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रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) और पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य (Viral Acharya)ने इस प्रस्ताव की आलोचना की है. रिजर्व के इस प्रस्ताव को पिछले सप्ताह सार्वजनिक किया गया था. रघुराम राजन ने कहा कि कारपोरेट घरानों को बैंक स्थापित करने की मंजूरी देने की सिफारिश आज के हालात में चौंकाने वाली है. उन्होंने इस सुझाव को 'बुरा आइडिया' करार दिया था. रघुराम राजन ने कहा कि कारपोरेट घरानों को बैंक स्थापित करने की मंजूरी देने की सिफारिश आज के हालात में चौंकाने वाली है. उन्होंने इस सुझाव को 'बैड आइडिया' कहा था. S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने भी इस विचार की आलोचना करते हुए इसे जोखिमभरा बताया था.
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