बैंक डिफॉल्टर्स की सूची का नहीं किया खुलासा, RBI गवर्नर उर्जित पटेल को मिला कारण बताओ नोटिस

केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने जानबूझकर बैंक ऋण नहीं चुकाने वालों की सूची का खुलासा करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले की ‘अनुपालना नहीं’ करने के लिए आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया है.

बैंक डिफॉल्टर्स की सूची का नहीं किया खुलासा, RBI गवर्नर उर्जित पटेल को मिला कारण बताओ नोटिस

आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल (फाइल फोटो)

खास बातें

  • केंद्रीय सूचना आयोग ने भेजा कारण बताओ नोटिस.
  • बैंक डिफॉल्टर्स की सूची का नहीं किया खुलासा.
  • सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं करने का है आरोप.
नई दिल्ली:

केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने जानबूझकर बैंक ऋण नहीं चुकाने वालों की सूची का खुलासा करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले की ‘अनुपालना नहीं' करने के लिए आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया है. सीआईसी ने इसके साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कहा है कि वे फंसे हुए कर्ज पर आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का पत्र सार्वजनिक करें.  सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद 50 करोड़ रुपये और उससे अधिक का ऋण लेने और जानबूझकर उसे नहीं चुकाने वालों के नाम के संबंध में सूचना आरबीआई द्वारा नहीं उपलब्ध कराने को लेकर नाराज सीआईसी ने पटेल से यह बताने के लिए कहा है कि फैसले की ‘अनुपालना नहीं करने' को लेकर उन पर क्यों न अधिकतम जुर्माना लगाया जाए.

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सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन सूचना आयुक्त शैलेश गांधी के उस फैसले को बरकरार रखा था जिसमें उन्होंने जानबूझकर ऋण नहीं चुकाने वालों के नामों का खुलासा करने को कहा था. सीआईसी ने उल्लेखित किया कि पटेल ने गत 20 सितम्बर को सीवीसी में कहा था कि सतर्कता पर सीवीसी की ओर से जारी दिशानिर्देश का उद्देश्य अधिक पारदर्शिता, सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी और सत्यनिष्ठा की संस्कृति को बढ़ावा देना तथा उसके अधिकार क्षेत्र में आने वाले संगठनों में समग्र सतर्कता प्रशासन को बेहतर बनाना है.    

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सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने कहा, ‘आयोग का मानना है कि आरटीआई नीति को लेकर जो आरबीआई गवर्नर और डिप्टी गवर्नर कहते हैं और जो उनकी वेबसाइट कहती है उसमें कोई मेल नहीं है. जयंती लाल मामले में सीआईसी के आदेश की उच्चतम न्यायालय द्वारा पुष्टि किये जाने के बावजूद सतर्कता रिपोर्टों और निरीक्षण रिपोर्टों में अत्यधिक गोपनीयता रखी जा रही है.' उन्होंने कहा कि इस अवज्ञा के लिए सीपीआईओ को दंडित करने से किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं होगी क्योंकि उन्होंने शीर्ष प्राधिकारियों के निर्देश के तहत कार्य किया.

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आचार्युलू ने कहा, ‘आयोग गवर्नर को डीम्ड पीआईओ मानता है जो कि खुलासा नहीं करने और उच्चतम न्यायालय एवं सीआईसी के आदेशों को नहीं मानने के लिए जिम्मेदार हैं. आयोग उन्हें 16 नवम्बर 2018 से पहले इसका कारण बताने का निर्देश देता है कि इन कारणों के लिए उनके खिलाफ क्यों न अधिकतम जुर्माना लगाया जाए.' उन्होंने आरबीआई के संतोष कुमार पाणिग्रही की इन दलीलों को भी खारिज कर दिया कि सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून की धारा 22 उनके द्वारा उद्धृत उन विभिन्न कानूनों को दरकिनार नहीं करती जो जानबूझकर रिण नहीं चुकाने वालों के नामों का खुलासा करने से रोकते हैं और इसलिए आरबीआई को खुलासे के दायित्व से मुक्त कर दिया जाना चाहिए.

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आचार्युलू ने कहा कि पाणिग्रही की यह दूसरी दलील भी आधारहीन है कि मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में लंबित एक जनहित याचिका उन्हें खुलसा करने से रोकेगी क्योंकि उन्होंने उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित ऐसा कोई अंतरिम आदेश पेश नहीं किया जो जानबूझकर रिण नहीं चुकाने वालों के नामों का खुलासा करने से रोकता है या जो सीआईसी के समक्ष सुनवायी के खिलाफ हो. 

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