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'रैमॉन मैगसेसे' पुरस्कार से सम्मानित रवीश कुमार पहले देखते थे NDTV में चिट्ठियों का काम, 10 बातें

एनडीटीवी के रवीश कुमार को 'रैमॉन मैगसेसे' पुरस्कार 2019 से शुक्रवार को सम्मानित किया गया है. इस पुरस्कार को नोबेल पुरस्कार का एशियाई संस्करण माना जाता है. प्रशस्ति पत्र में 44 वर्षीय कुमार को भारत के सबसे प्रभावी टीवी पत्रकारों में से एक बताया गया है.

रवीश कुमार को 'रैमॉन मैगसेसे' पुरस्कार से सम्मानित किया गया है

एनडीटीवी के रवीश कुमार को 'रैमॉन मैगसेसे' पुरस्कार 2019 से शुक्रवार को सम्मानित किया गया है. इस पुरस्कार को नोबेल पुरस्कार का एशियाई संस्करण माना जाता है. प्रशस्ति पत्र में 44 वर्षीय कुमार को भारत के सबसे प्रभावी टीवी पत्रकारों में से एक बताया गया है. वह एनडीटीवी इंडिया में पत्रकार हैं. उनका नाम उन पांच व्यक्तियों में शुमार है जिन्हें इस पुरस्कार का विजेता घोषित किया गया है. प्रशस्ति पत्र में कहा गया कि कुमार का कार्यक्रम “प्राइम टाइम” “आम लोगों की वास्तविक, अनकही समस्याओं को उठाता है.’’ साथ ही इसमें कहा गया, “अगर आप लोगों की अवाज बन गए हैं, तो आप पत्रकार हैं.” इस साल के रमन मैगसेसे पुरस्कार के चार अन्य विजेताओं में म्यामां के ‘को स्वे विन’, थाइलैंड की ‘अंगखाना नीलापाइजित’, फिलीपीन के ‘रैयमुंडो पुजंते कायाबायऐब’ और दक्षिण कोरिया के ‘किम जोंग की’ शामिल हैं. 1957 में शुरू हुए इस पुरस्कार को एशिया का सर्वोच्च सम्मान माना जाता है.

10 बड़ी बातें

  1. ये भारतीय पत्रकारिता और NDTV के लिए एक बड़ा दिन है. NDTV के रवीश कुमार को 'रैमॉन मैगसेसे' सम्मान मिला है. 
  2. अमूमन सामाजिक कार्यों के लिए दिए जाने वाला ये पुरस्कार रवीश की सामाजिक पत्रकारिता को रेखांकित करता है. NDTV के लिए ये एक गौरव का दिन है. 
  3. रवीश कुमार ने बहुत लंबा सफ़र तय किया है. बहुत नीचे से उन्होंने शुरुआत की और यहां तक पहुंचे हैं. 1996 से रवीश कुमार NDTV से जुड़े हैं. 
  4. शुरुआती दिनों में NDTV में आई चिट्ठियां छांटा करते थे. इसके बाद वो रिपोर्टिंग की ओर मुड़े और उनकी सजग आंख देश और समाज की विडंबनाओं को अचूक ढंग से पहचानती रहीं. 
  5. उनका कार्यक्रम 'रवीश की रिपोर्ट' बेहद चर्चित हुआ और हिंदुस्तान के आम लोगों का कार्यक्रम बन गया. 
  6. बाद में एंकरिंग करते हुए उन्होंने टीवी पत्रकारिता की जैसे एक नई परिभाषा रची. इस देश में जिसे भी लगता है कि उसकी आवाज़ कोई नहीं सुनता है उसे रवीश कुमार से उम्मीद होती है. 
  7. टीवी पत्रकारिता के इस शोर-शराबे भरे दौर में उन्होंने सरोकार वाली पत्रकारिता का परचम लहराए रखा है.सत्ता के खिलाफ़ बेखौफ़ पत्रकारिता करते रहे. आज उनकी पत्रकारिता को एक और बड़ी मान्यता मिली है.
  8. रवीश कुमार ने अपने प्राइम टाइम में जनसरोकार के मुद्दों पर जोर दिया. हाल में उनकी नौकरी और विश्वविद्यालय कॉलेजों को लेकर चलाई गई सीरीज को खूब पंसद किया गया है.
  9. 2010 में गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार से सम्मानित किया गया.  2013, 2017 में प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका अवॉर्ड भी मिला.
  10. 2016 में सर्वश्रेष्ठ पत्रकार का रेड इंक अवॉर्ड भी रवीश कुमार को मिला. 2017 में पहला कुलदीप नैयर पत्रकारिता अवॉर्ड मिला. 2019 में बेहतरीन पत्रकारिता के लिए रमन मैग्सेसे अवार्ड मिला. रवीश कुमार ने इश्क़ में शहर होना, देखते रहिए, फ़्री वॉयस जैसी किताबें भी लिखी हैं जो काफी पसंद की जाती हैं. 

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