बुधवार को होने वाले भूमि पूजन कार्यक्रम की तैयारी अयोध्या में जोर-शोर से चल रही है. पूरे शहर को पीले रंग को रंग दिया गया है. तो इस बीच राजनीतिक गलियारों में इसको गुणा-भाग भी जारी है. जहां कुछ राजनीतिक दलों ने इससे थोड़ी बना रखी है. वहीं कांग्रेस पूरी तरह राममय नजर आ रही है. पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा है कि अयोध्या में भूमि पूजन राष्ट्रीय एकता का कार्यक्रम बनना चाहिए. अयोध्या को लेकर कांग्रेस की ओर से अभी तक काफी सधी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं. दिग्विजय सिंह जरूर भूमि पूजन के मुहूर्त को लेकर कई ट्वीट किए हों लेकिन पार्टी की ओर से उनके बयानों को तवज्जो नहीं दी गई है. कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने राम मंदिर निर्माण को लेकर देशवासियों को बधाई दी है. उन्होंने एक वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट किया, 'रघुपति राघव राजाराम,पतित पावन सीताराम, सीताराम सीताराम,भज प्यारे तू सीताराम ईश्वर अल्लाह तेरो नाम, सब को सन्मति दे भगवान. यह गांधी जी का प्रिय भजन था.' कांग्रेस प्रवक्ता तिवारी ने कहा, 'अब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन होने जा रहा है. मैं सभी देशवासियों और श्रद्धालुओं को कोटि कोटि बधाई देता हूं.'
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मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने भोपाल में हनुमान चालीसा का पाठ किया है. मध्य प्रदेश कांग्रेस इस चालीसा का पाठ आज पूरे प्रदेश में कर रही है. इससे पहले शनिवार को कमलनाथ ने कहा था कि अयोध्या में मंदिर निर्माण हर भारतवासी की सहमति से हो रहा है. वहीं दिग्विजय सिंह कहते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी यही चाहते थे कि जल्द से जल्द एक भव्य मंदिर अयोध्या राम जन्म भूमि पर बने और राम लला वहां विराजें. सिंह ने ट्वीट किया, 'रामहि केवल प्रेमु पिआरा। जानि लेउ जो जान निहारा'...जिसका मतलब है श्री रामचन्द्रजी को केवल प्रेम प्यारा है, जो जानने वाला हो (जानना चाहता हो), वह जान ले.'
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28 जुलाई को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कर्ण सिंह ने मांग की थी कि अयोध्या में बनने जा रहे राम मंदिर में भगवान राम के साथ ही सीता जी की भी प्रमुख मूर्ति होनी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने यह आग्रह भी किया कि मंदिर में एक भव्य शिवलिंग भी स्थापित किया जाना चाहिए क्योंकि श्रीराम ने शिवजी की उपासना की थी.
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दरअसल ऐसा लग रहा है कांग्रेस ने इस बार बीते 5 अगस्त को हुई 'एक भयंकर गलती' से सीख ली है. आपको बता दें कि कल यानी बुधवार को ही जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटे एक साल हो जाएंगे. लेकिन आपको याद होगा कि जिस दिन इसको हटाने की घोषणा की गई थी तो इसको लेकर कांग्रेस में ही एजेंडा साफ नहीं था. संसद में जहां गुलाम नबी आजाद और पार्टी के कई नेता इसके विरोध में हो रहे थे तो बाहर कांग्रेस के ही नेता इसके समर्थन में बोल रहे थे. इस स्थिति से कांग्रेस की काफी छीछालेदर हुई थी. वहीं बीजेपी ने इस मामले में कांग्रेस पर जमकर तंज कसा था क्योंकि देश में इस फैसले के पक्ष में माहौल देखा जा रहा था. लेकिन इस बार कांग्रेस के नेताओं ने बिना किसी कन्फ्यूजन के अयोध्या मामले में बयान दिए हैं. दरअसल कांग्रेस की ये भी कोशिश है कि उसकी छवि हिंदू विरोधी न बनने पाए क्योंकि साल 2014 में एके एटंनी समिति ने साफ कहा था कि कांग्रेस की हार में बड़ा कारण उसकी हिन्दू विरोधी छवि हो रही है. (इनपुट भाषा से भी)
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