विज्ञापन
This Article is From Aug 14, 2019

राम लला के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दी दलील, कहा- "हिन्‍दुओं का विश्‍वास अयोध्‍या में जन्‍मे थे राम, इससे आगे न जाए कोर्ट"

राम लला विराजमान (ram Lalla Virajman) की ओर से सीनियर एडवोकेट सी एस वैद्यनाथन ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (Chief Justice Ranjan Gogoi) की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के आगे दलीलें पेश कीं.

राम लला के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दी दलील, कहा- "हिन्‍दुओं का विश्‍वास अयोध्‍या में जन्‍मे थे राम, इससे आगे न जाए कोर्ट"
Ayodhya Hearing: सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई कर रही है
नई दिल्‍ली:

राजनीतिक रूप से संवदेनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट में छठे दिन बुधवार को राम लला विराजमान के वकील ने कहा कि हिंदुओं का विश्वास है कि अयोध्या (Ayodhya) भगवान राम का जन्म स्थान है और कोर्ट को इसके तर्कसंगत होने की जांच के लिए इसके आगे नहीं जाना चाहिए.

यह भी पढ़ें: बीजेपी सांसद ने कहा, हम भगवान राम के वंशज, सबूत भी है हमारे पास

राम लला विराजमान की ओर से सीनियर एडवोकेट सी एस वैद्यनाथन ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के आगे दलीलें पेश कीं. पीठ के सदस्यों में जस्टिस एस ए बोबड़े, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस ए नजीर भी शामिल हैं.

वैद्यनाथन ने पीठ से कहा, "हिंदुओं का विश्वास है कि अयोध्या भगवान राम का जन्म स्थान है और कोर्ट को इसके आगे जाकर यह नहीं देखना चाहिए कि यह कितना तार्किक है."

यह भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट में वकील ने रखी दलीलें, 'रामलला चूंकि नाबालिग हैं लिहाजा उनकी ओर से...'

आपको बता दें कि इससे पहले सीनियर एडवोकेट वैद्यनाथ ने मंगलवार को कोर्ट को बताया था कि भगवान राम की जन्मस्थली अपने आप में देवता है और मुस्लिम 2.77 एकड़ विवादित जमीन पर अधिकार होने का दावा नहीं कर सकते क्योंकि संपत्ति को बांटना ईश्वर को 'नष्ट करने' और उसका 'भंजन' करने के समान होगा.

'राम लला विराजमान' के वकील बेंच के उस सवाल का जवाब दे रहे थे जिसमें पूछा गया था कि अगर हिंदुओं और मुसलमानों का विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवादित स्थल पर संयुक्त कब्जा था, तो मुस्लिमों को कैसे बेदखल किया जा सकता है.

यह भी पढ़ें: अयोध्या पर मध्यस्थता क्यों फेल हुई? सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड जमीन छोड़ने को तैयार था

संविधान पीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई कर रही है. हाईकोर्ट ने चार दीवानी मुकदमों पर अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या में 2.77 एकड़ भूमि को तीनों पक्षों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला-के बीच समान रूप से विभाजित किया जाना चाहिए.
 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Ayodhya Babri Masjid Case, Ram Lalla, राम लला, अयोध्‍या विवाद
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com