यह ख़बर 10 दिसंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

वालमार्ट लॉबिंग, प्रोन्नति में आरक्षण की भेंट चढ़ी राज्यसभा की कार्यवाही

खास बातें

  • वालमार्ट लॉबिंग रिपोर्ट और प्रोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर विपक्षी दलों द्वारा जमकर हंगामा किए जाने के कारण सोमवार को राज्यसभा की कार्यवाही नहीं चल पाई।
नई दिल्ली:

वालमार्ट लॉबिंग रिपोर्ट और प्रोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर विपक्षी दलों द्वारा जमकर हंगामा किए जाने के कारण सोमवार को राज्यसभा की कार्यवाही नहीं चल पाई।

राज्यसभा की कार्यवाही तब दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई, जब केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री वी. नारायणसामी ने प्रोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था करने वाले विधेयक को पेश करना चाहा और उसपर समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्यों ने जमकर नारेबाजी शुरू कर दी।

इस बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बहुराष्ट्रीय खुदरा शृंखला, वालमार्ट द्वारा भारत में खुदरा व्यापार में 51 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति के लिए लॉबिंग पर 125 करोड़ रुपये खर्च किए जाने का मुद्दा उठाना चाहा। भाजपा ने आरोप लगाया कि रिश्वत लेकर देश में एफडीआई की अनुमति दी गई है।

पहले के दो स्थगनों के बाद सदन की बैठक अपराह्न् दो बजे जैसे ही शुरू हुई, सपा सदस्य सभापति के आसन के पास आ गए और प्रोन्नति में आरक्षण के प्रावधान वाले विधेयक के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। सपा सदस्यों ने कहा, "प्रोन्नति में आरक्षण नहीं चलेगा।"

नारायणसामी ने खड़ा होकर सदन से आग्रह किया कि 107वां संविधान संशोधन विधेयक-2012 पर विचार किया जाए और उसे पारित किया जाए।

यह विधेयक बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की एक प्रमुख मांग है, जिसमें अनुसूचित जातियों व अनुसूचित जनजातियों के लिए प्रोन्नति में आरक्षण देने का प्रावधान है।

सपा सदस्यों के हंगामे के कारण राज्यसभा में नारायणसामी का वक्तव्य सुना नहीं जा सका।

दूसरी ओर भाजपा और जनता दल (युनाइटेड) के सदस्य अपनी सीटों से खड़े होकर वालमार्ट से सम्बंधित खुलासे पर प्रधानमंत्री से बयान की मांग कर रहे थे।

राज्यसभा के उपसभापति पीजे कुरियन ने सपा सदस्यों से आग्रह किया कि वे विधेयक का विरोध करना ही चाहते हैं तो अपनी सीटों पर जाकर ऐसा करें। लेकिन सपा सदस्य पीठासीन अधिकारी के आसन के पास ही नारेबाजी करते रहे।

कुरियन ने सदस्यों को अनुशासनहीन तक करार दिया, लेकिन इससे भी कोई असर नहीं हुआ। उन्होंने कहा, "यह सदस्यों की उद्दंडता है।" इसके साथ ही उन्होंने सदन की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी।

इसके पहले अखबारों में प्रकाशित उस रपट को लेकर राज्यसभा की कार्यवाही बाधित हुई, जिसमें कहा गया है कि वालमार्ट ने भारत में खुदरा में एफडीआई का रास्ता खोलने के लिए अमेरिका में लॉबिंग की थी।

भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने यह मुद्दा शून्यकाल के दौरान उठाया, जब सार्वजनिक महत्व के मुद्दे उठाए जाते हैं। प्रसाद का नाम हालांकि शून्यकाल की सूची में अंत में था, लेकिन उसे पहले स्थान पर लाया गया, क्योंकि कई विपक्षी दलों ने कहा कि यह मुद्दा महत्वपूर्ण है।

वामपंथी दलों तथा तृणमूल कांग्रेस के साथ-साथ विपक्ष की अन्य पार्टियों ने भी उनका समर्थन किया। विपक्षी दलों के सदस्यों ने खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति देने का केंद्र सरकार का फैसला रोक कर इस मामले की जांच कराने की मांग की।

प्रसाद ने कहा, "आज के सभी प्रमुख समाचार पत्रों में रिपोर्ट है कि वालमार्ट ने स्वयं कहा है कि 125 करोड़ रुपये लॉबिंग पर खर्च हुए। अकेले वर्ष 2012 में उसने केवल भारत में लॉबिंग पर 30 लाख डॉलर खर्च किए।" उन्होंने कहा, "भारत में लॉबिंग गैर-कानूनी है और यदि वालमार्ट ने लॉबिंग का जिक्र किया है तो यह रिश्वत का मामला है। उसने किसे रिश्वत की ये राशि दी? केंद्र सरकार को यह बताना चाहिए। यह बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में बड़ा सवाल खड़े करता है। सरकार को एफडीआई पर अपना निर्णय तत्काल रोक कर इस मामले की जांच करानी चाहिए और इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए।"

जनता दल (यू) के नेता शिवानंद तिवारी ने पीठासीन अधिकारी से अनुरोध किया कि वह इस मामले के स्पष्टीकरण के लिए प्रधानमंत्री को सदन में बुलाएं।

इसके बाद संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा कि वह इस बारे में सम्बंधित मंत्री को अवगत करा देंगे। लेकिन विपक्ष की नारेबाजी जारी रही, जिसके कारण राज्यसभा के उप सभापति पीजे कुरियन ने सदन की कार्यवाही पहले 10 मिनट के लिए, फिर दोपहर दो बजे तक के लिए और अंतत: पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।

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ज्ञात हो कि खुदरा में एफडीआई के निर्णय पर पिछले सप्ताह संसद के दोनों सदनों में मतदान हुआ था और उसे पारित कर दिया गया था।