सीबीआई ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि सारदा चिटफंड घोटाले में एसआईटी का नेतृत्व करने वाले कोलकाता के पुलिस आयुक्त राजीव कुमार ने मुख्य आरोपी और संभावित आरोपियों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) के रूप में साक्ष्यों को नष्ट किया और उनसे छेड़छाड़ की. सीबीआई ने कहा कि कुमार द्वारा भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और आईपीसी के तहत प्रथम दृष्टया अपराध किए जाने का मामला बनता है. जांच एजेंसी ने यह भी दावा किया कि सारदा, रोज वैली और टॉवर ग्रुप जैसी कंपनियों ने तृणमूल कांग्रेस को चंदे के तौर पर बड़ी रकम दी है. शीर्ष अदालत द्वारा सोमवार को दिए गए आदेश का पालन करते हुए अतिरिक्त हलफनामा दाखिल कर सीबीआई ने बताया कि लगातार जोर दिए जाने के बाद भी कुमार ने 29 जून 2018 को मुख्य आरोपी का सिर्फ सीडीआर सौंपा.
एजेंसी ने कहा, "जब सीबीआई ने आरोपी के सीडीआर का विश्लेषण किया तो पाया कि उससे छेड़छाड़ की गई है और साक्ष्यों को नष्ट किया गया है." सीबीआई ने हलफनामे में आरोप लगाया कि एसआईटी भी जांच के दायरे में है, क्योंकि वह आरोपियों एवं संभावित आरोपियों के साथ मिलीभगत कर जांच की प्रक्रिया को पटरी से उतारने की कोशिश कर रही है. इससे पहले केंद्रीय गृहमंत्रालय ने कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के खिलाफ अनुशासन की कार्रवाई का नोटिस जारी किया था. गृहमंत्रालय ने मुख्य सचिव से कार्रवाई शुरू करने को कहा था.
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में जारी सीबीआई बनाम ममता सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कमिश्नर राजीव कुमार को सीबीआई के समक्ष पेश होने को कहा. हालांकि, कोर्ट ने राजीव कुमार की गिरफ्तारी से साफ इनकार कर दिया था.
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