राजस्थान (Rajasthan) में भरतपुर जिले के एक सरकारी अस्पताल में चिकित्सकों की कथित लापरवाही के कारण 32 वर्षीय गर्भवती महिला ने एम्बुलेंस में बच्चे को जन्म दिया और प्रसव के बाद नवजात शिशु की मौत हो गई. ऐसा आरोप है कि चिकित्सकों ने महिला और उसके पति को मुस्लिम होने के कारण अस्पताल से वापस लौटा दिया था. महिला के पति इरफान खान के यह आरोप लगाने के बाद कथित चिकित्सकीय लापरवाही मामले में जांच का आदेश दिया गया है.
इरफान खान ने कहा कि उस पर और उसके परिजन पर जांच पैनल के सामने आरोपों का खंडन करने के लिये दबाव डाला जा रहा है. खान ने संवाददाताओं को बताया कि वह प्रसव पीड़ा झेल रही अपनी पत्नी को शुक्रवार रात सीकरी इलाके के स्वास्थ्य केन्द्र लेकर गया था जहां चिकित्सकों ने मामले को जटिल बताते हुए उन्हें आरबीएम जनाना अस्पताल रेफर कर दिया.
खान ने कहा, ‘‘मैं शनिवार सुबह जिला अस्पताल पहुंचा जहां एक महिला चिकित्सक ने मेरी विस्तृत जानकारी ली. चिकित्सक ने कहा कि तुम एक मुस्लिम हो और आपका इलाज यहां नहीं हो सकता है. उसने एक अन्य चिकित्सक को हमें जयपुर रेफर करने को कहा.''
उसने कहा, ‘‘मैं अपनी गर्भवती पत्नी के साथ अस्पताल के बाहर आ गया और मेरी पत्नी ने एम्बुलेंस में ही बच्चे को जन्म दिया और चिकित्सकों की लापरवाही के कारण मेरे नवजात शिशु की मौत हो गई.'' राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री और भरतपुर के विधायक डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा कि जिला प्रशासन के अधिकारियों का एक दल मामले की जांच कर रहा है.
गर्ग ने कहा, ‘‘मैंने जिला कलेक्टर को मामले की जांच करने को कहा है. मामले में जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. यह एक दर्दनाक घटना है. '' भरतपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ नवदीप सिंह सैनी ने मामले में ज्यादा कुछ न बताते हुए कहा कि मामले की जांच एक पैनल कर रहा है.
वहीं पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने कई ट्वीट करते हुए राज्य में अपनी कांग्रेंस सरकार पर सच्चाई को दबाने का आरोप लगाया है. सिंह ने पूर्व आईएएस अधिकारी अरविंद मायाराम को टैग करते हुए लिखा कि वीडियो से यह स्पष्ट है कि सरकार सच्चाई को दबाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं केबिनेट मंत्री हूं और बिना सबूत के नहीं बोलता हूं. कृपया इसे दबाने की कोशिश मत कीजिए.''
एक अन्य ट्वीट में सिंह ने कहा, ‘‘किसी धर्म के चंद सिरफिरों की जमात ने पूरे भारत में तांडव मचाया है लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं हो सकता कि धर्म के नाम पर किसी महिला को ऐसी भयानक पीड़़ा और तिरस्कार का सामना करना पड़े. एक मां को उसके बच्चे के खोने से ज्यादा बड़ी पीड़ा कोई हो नहीं सकती... यह कतई स्वीकार्य नहीं है.''
उन्होंने कहा, ‘‘और यह स्वाभाविक मानवीय मूल्यों के खिलाफ है जो गलत है, वह गलत है. किसी जाति एवं धर्म के नाम पर किसी मां को उसकी ममता से वंचित नहीं किया जा सकता और ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं