Rajasthan Local Body Polls : राजस्थान के निकाय चुनावों के नतीजों में सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस बहुत अच्छा प्रदर्शन करती नहीं दिख रही है. राजस्थान के 33 जिलों में से 21 जिलों में नवंबर में पंचायत समिति और जिला परिषद के चुनाव हुए हैं, जिनके नतीजे अब आ रहे हैं और कांग्रेस नतीजों में मात खाती हुई दिख रही है.
21 जिला परिषदों में से बीजेपी को 13 पर जीत मिल रही है, वहीं चार चरणों में 222 पंचायत समितियों में हुए चुनाव के नतीजों में बीजेपी को 93 सीटों पर जीत मिल रही है, वहीं, कांग्रेस 81 सीटें ले जा रही है. एक दिलचस्प चीज जो देखने को मिल रही है, वो है हनुमान बेनीवाल की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) का उदय. बेनीवाल वर्तमान में बीजेपी के साथ गठबंधन में हैं. नागौर में उनका अच्छा-खासा प्रभुत्व है, वो यहां पर किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं, जबकि भारतीय ट्राइबल पार्टी डुंगरपुर में तय करेगी कि जिला प्रमुख कौन होगा.
ऐसे में ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस के वोट बैंक में लगी सेंध कांग्रेस के लिए चिंता का विषय होना चाहिए, खासकर जनजातीय वोट को लेकर, क्योंकि कांग्रेस की मजबूत मौजूदगी वाले इलाके डुंगरपुर में BTP ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों को ही पछाड़ दिया है.
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उधर, बीजेपी का सुधरा प्रदर्शन पार्टी के लिए उत्साह वाली बात है, जो खुद पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को किनारे करने के बाद अंदरूनी लड़ाई से गुजर रही है. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ट्विटर पर बीजेपी की जीत को लेकर बधाई दी है. उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, 'राजस्थान में पंचायती राज और जिला परिषद चुनावों में प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र की जनता, किसानों व महिलाओं ने भाजपा में जो विश्वास प्रकट किया है, इसके लिए मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं. यह जीत गांव, गरीब, किसान और मजदूर के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी में विश्वास का प्रतीक है.'
राजस्थान में पंचायती राज और जिला परिषद चुनावों में प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र की जनता, किसानों व महिलाओं ने भाजपा में जो विश्वास प्रकट किया है, इसके लिए मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं। यह जीत गांव, गरीब, किसान और मजदूर के प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी में विश्वास का प्रतीक है।
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) December 9, 2020
बता दें कि कांग्रेस ने हाल ही में हुए नगर निकाय चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था, जिसमें 6 नगर निगमों से 4 में उसके मेयर चुने गए थे लेकिन पंचायत समिति और जिला परिषद चुनाव के नतीजों से साफ है कि ग्रामीण राजस्थान में कांग्रेस के लिए सबकुछ ठीक नहीं है. इसके पीछे बिजली के बिल में की गई बढ़ोतरी जैसे स्थानीय मुद्दों के साथ-साथ सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच लंबी खिंची अंदरूनी लड़ाई भी वजह मानी जा रही है.
सचिन पायलट राजस्थान में पांच सालों से कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर काम कर रहे थे, लेकिन उन्हें पद से हटाए जाने के बाद से कांग्रेस के सांगठनिक ढांचे में शक्ति का असंतुलन और अभाव है, जिसका असर इन चुनावों पर पड़ा है. अशोक गहलोत ने शक्ति का संतुलन अपने कैबिनेट में बनाए रखने के लिए कोई राजनीतिक नियुक्तियां भी नहीं की हैं, जिससे पार्टी काडर में असंतुष्टि देखी जा रही है.
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