राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच जारी जंग अब कोर्ट से निकलकर राजनीतिक मैदान में पहुंच गई है. विधानसभा सत्र को लेकर राज्यपाल की ओर से उठाए गए सवालों पर चर्चा के लिए आज होने वाली राजस्थान सरकार के कैबिनेट की बैठक दो बार टाली जा चुकी है. वहीं कल देर रात तक भी कैबिनेट की बैठक जारी रही. इससे पहले सीएम गहलोत ने बड़े जोर-शोर से ऐलान किया था कि वह विधानसभा सत्र बुलाकर बहुमत सिद्ध करेंगे. इसके साथ ही यह भी दावा किया गया था कि उनके पास बहुमत से 20-25 ज्यादा ही विधायक हैं. जब हाईकोर्ट में विधानसभा अध्यक्ष की ओर से दिए गए नोटिस पर सुनवाई चल रही थी तो उधर सीएम अशोक गहलोत ने राज्यपाल से मिलकर विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की. लेकिन राज्यपाल जब इस पर कोई जवाब नहीं दिया तो वह विधायकों के साथ उनसे मिलने राजभवन पहुंच गए. इससे पहले उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि राज्यपाल अपने पद की गरिमा के मुताबिक काम नहीं कर रहे हैं और उनके ऊपर दबाव है. इसके साथ ही सीएम गहलोत ने इस बात की भी धमकी दी कि कहीं राजस्थान की जनता राजभवन का घेराव न कर ले तो उनकी जिम्मेदारी नहीं होगी.
इसके बाद जब सीएम गहलोत ने राजभवन में विधायकों की परेड कराई और राज्यपाल को 102 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी सौंपी. हालांकि राज्यपाल की ओर से विधानसभा सत्र बुलाने का अभी तक कोई संकेत नहीं दिया गया है. उनकी ओर से यह जरूर कहा गया है कि विधानसभा सत्र बुलाने का एजेंडा का साफ नहीं है. सीएम अशोक गहलोत की ओर से जो पत्र दिया गया है उसमें कुछ भी स्पष्ट नहीं है.
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दरअसल अब राजस्थान की राजनीति में 'समय' बहुत मूल्यवान हो गया है. राजस्थान के सीएम ने 102 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी सौंपी है और दावा किया है कि सचिन पायलट कैंप के 19 में से 4 विधायक उनके साथ आने को तैयार हैं. लेकिन अभी कि जो मौजूदा स्थिति है उसके मुताबिक राजस्थान में बहुमत के लिए 101 विधायक चाहिए और गहलोत के पास 102 विधायकों का समर्थन है.
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सीएम गहलोत चाहते हैं कि जल्द से जल्द सत्र बुलाकर बहुमत साबित कर दिया जाए ताकि अगले 6 महीने तक सरकार को कोई खतरा न रहे. लेकिन इसमें जितना वक्त लगेगा उनकी सरकार पर खतरा बढ़ता जाएगा क्योंकि अगर 1 भी विधायक इधर से उधर हुआ तो सरकार जाने का डर है. दूसरी ओर ऐसा ही कुछ खतरा सचिन पायलट भी महसूस कर रहे होंगे क्योंकि हो सकता है जो विधायक बागावत का रुख अपना रहे हों इसमें कोई फायदा न होता देख वापस लौट जाएं क्योंकि जो परिस्थितियां बन रही हैं उससे राज्य में नई सरकार बनना उतना भी आसान नहीं है.
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