Rajasthan Crisis Updates: बागी विधायकों ने सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखा
जयपुर:
Rajasthan Political Crisis Updates: राजस्थान हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि रिकॉर्ड में मौजूद चीज़ों से नहीं लगता कि राजस्थान विधानसभा के स्पीकर ने सचिन पायलट और 18 अन्य कांग्रेस के बागी विधायकों को अयोग्यता का नोटिस जारी करते समय 'बुद्धि का इस्तेमाल' किया. एक ओर कोर्ट ने 'पार्टी-विरोधी गतिविधियों' के आरोप में पिछले सप्ताह जारी किए गए नोटिसों को चुनौती देने वाली याचिका पर टीम पायलट का पक्ष सुना. उधर, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर स्थित एक रिसॉर्ट में कांग्रेस विधायकों की तीसरी बैठक बुलाई, जहां वह अपने समर्थकों की निगरानी कर रहे हैं.
- बागी विधायकों की पैरवी कर रहे मुकुल रोहतगी ने कहा कि स्पीकर ने 'बेतहाशा जल्दबाज़ी' दिखाई और नोटिस जारी करते वक्त कोई कारण भी नही दिया.
- मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया, "महामारी के बीच नोटिस का जवाब देने के लिए विधायकों को सिर्फ तीन दिन का वक्त दिया गया... इन तथ्यों को पढ़ने के बाद इस बात में कोई संदेह नहीं रह जाता है कि निर्णय (विधायकों को निलंबित करने का) पहले ही तय कर लिए गए निष्कर्ष का नतीजा था..."
- सोमवार को दोनों पक्षों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने बहस की थी कि यह असंतोष 'पार्टी-विरोधी' है, या स्पीकर की कार्रवाई बोलने की स्वतंत्रता का हनन.
- स्पीकर सी.पी. जोशी का पक्ष रखते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि स्पीकर द्वारा कार्रवाई किए जाने से पहले बागी कोर्ट नहीं जा सकते हैं. उन्होंने कहा था, "बागियों के पास स्पीकर पर सवाल उठाने का तब तक कोई आधार नहीं, जब तक स्पीकर कोई फैसला नहीं सुना देते... स्पीकर और विधानसभा फिलहाल कोर्ट के न्यायिक क्षेत्राधिकार में नहीं आते हैं..."
- एक सप्ताह से भी अधिक समय से दिल्ली के निकट दो रिसॉर्ट में ठहरी हुई टीम पायलट ने उस संवैधानिक नियम को चुनौती दी है, जो उन विधायकों को अयोग्य करार देता है, जो 'अपनी इच्छा से' उस पार्टी की सदस्यता छोड़ देते हैं, जिसका वे प्रतिनिधित्व करते हैं.
- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 103 विधायकों के समर्थन के साथ खुद को सुरक्षित मानते हैं - जो 200-सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के आंकड़े से दो ज़्यादा है.
- राज्य में चल रहे मौजूदा सियासी संकट के बीच बागियों की याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले का व्यापक असर होगा. अगर टीम पायलट को अयोग्य करार दिया जाता है, तो विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा नीचे आ जाएगा, और अशोक गहलोत के लिए विश्वासमत जीतना आसान हो जाएगा.
- मुकदमा जीतने की स्थिति में टीम पायलट के 19 सदस्य BJP के 72 सदस्यों को जोड़कर सरकार को कड़ी टक्कर देने की स्थिति में आ जाएंगे. वे कांग्रेस सदस्यों के तौर पर ही अपनी ही सरकार के खिलाफ वोट दे सकते हैं, जिससे गहलोत के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी.
- सचिन पायलट ने पार्टी से नाता तोड़ लिया था, जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा आदेशित जांच में उनसे सवालों के जवाब देने के लिए कहा गया. एक ओर कांग्रेस बार-बार कहती रही है कि सचिन पायलट के लिए 'दरवाज़े खुले हैं', और उधर सचिन ने भी कहा कि वह BJP में नहीं जा रहे हैं, लेकिन अशोक गहलोत के हमले तीखे होते जा रहे हैं.
- सोमवार को गहलोत ने कहा कि कोई भी यकीन नहीं कर पा रहा है कि 'ऐसा मासूम चेहरा' पार्टी के खिलाफ साज़िश रच सकता है. उन्होंने पायलट का ज़िक्र करते हुए 'निकम्मा' और 'नाकारा' शब्दों का भी इस्तेमाल किया था.