राजस्थान संकट पर क्यों 'चुप' हैं पूर्व CM वसुंधरा राजे? केंद्रीय मंत्री ने दिया यह जवाब...

Rajasthan Crisis: गजेंद्र शेखावत (Gajendra Shekhawat) ने अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) पर आरोप लगाया कि खुद कांग्रेस नेता ने पार्टी के अंदर और बाहर अपने विरोधियों को निशाना बनाते हुए राज्य में राजनीतिक 'ड्रामा' रचा है.

राजस्थान संकट पर क्यों 'चुप' हैं पूर्व CM वसुंधरा राजे? केंद्रीय मंत्री ने दिया यह जवाब...

Rajasthan Crisis: राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

Rajasthan Crisis: केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Shekhawat) का कहना है कि राजस्थान के राजनीतिक घटनाक्रमों को लेकर राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया (Vasundhara Raje) की 'चुप्पी' एक 'रणनीति' हो सकती है. शेखावत ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि खुद कांग्रेस नेता ने पार्टी के अंदर और बाहर अपने विरोधियों को निशाना बनाते हुए राज्य में राजनीतिक 'ड्रामा' रचा है. गौरतलब है कि गहलोत ने उनपर प्रदेश की कांग्रेस सरकार को गिराने का प्रयास करने का आरोप लगाया है. लोकसभा में जोधपुर संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले शेखावत ने कहा, 'लोकसभा चुनाव में अपने पुत्र को मिली पराजय को वह पचा नहीं पा रहे हैं इसलिए उस हार का बदला लेने के लिए वह मेरे खिलाफ सभी प्रकार के हथकंडे अपना रहे हैं.'

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शेखावत ने गत लोकसभा चुनाव में गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत को 2.74 लाख से भी अधिक मतों के अंतर से पराजित किया था. शेखावत ने कहा कि राजस्थान के राजनीतिक घटनाक्रमों से भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है और यह कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई है, जिसमें मुख्यमंत्री और उनके पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट शामिल हैं. उन्होंने कहा, 'राज्य में यह ड्रामा इसलिए चल रहा है क्योंकि वह (गहलोत) सचिन (पायलट) और अन्य को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना चाहते हैं. इस पूरे संकट के लिए वे भाजपा को दोषी ठहरा रहे हैं और इसके नेतृत्व की छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं.'

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राजस्थान में चल रहे राजनीतिक संकट पर वसुंधरा की चुप्पी के बारे में पूछे जाने पर शेखावत ने कहा, 'वसुंधरा जी की चुप्पी एक रणनीति हो सकती है और कभी-कभी चुप्पी शब्दों से भी ज्यादा गूंजती है.' हालांकि इसकी व्याख्या करने से उन्होंने इंकार कर दिया. गहलोत और पायलट के बीच की लड़ाई जब सार्वजनिक हो गई तब भी वसुंधरा ने चुप्पी साधे रखी, जबकि प्रदेश भाजपा के नेता इस मुद्दे पर लगातार बोल रहे थे और कांग्रेस पर हमले कर रहे थे. वसुंधरा दो बार राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं.

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इस पूरे घटनाक्रम पर राजे ने कुछ ट्वीट किए और कहा कि कुछ लोग राज्य के राजनीतिक घटनाक्रमों के बारे में भ्रम पैदा कर रहे हैं. उन्होंने बल देकर कहा कि वह पार्टी और उसकी विचारधारा के साथ खड़ी हैं. उनकी यह प्रतिक्रिया तब आई जब नागौर से सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने उनपर गहलोत के साथ 'भीतरी साठगांठ' का आरोप लगाया. बेनीवाल वसुंधरा के बहुत बड़े आलोचक रहे हैं. साल 2018 में विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने भाजपा छोड़ कर नई पार्टी गठित कर ली थी.

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वसुंधरा और भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के बीच साल 2018 में राजस्थान भाजपा अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर मतभेद उभरे थे. दो महीने से भी अधिक की देरी के बाद प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर मदन लाल सैनी के नाम पर सहमति बनी थी. राज्य विधानसभा के पिछले चुनाव में पार्टी की हार के बाद वसुंधरा को भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था. शेखावत ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री द्वारा विधायकों को जैसलमेर ले जाना दर्शाता है कि उन्हें अपने विधायकों पर भरोसा नहीं है और सरकार अल्पमत में है. उन्होंने दावा किया कि 2018 में कांग्रेस के राज्य की सत्ता में आने के बाद राज्य सरकार में 'सीधे दो फाड़' हो गया था.

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उन्होंने कहा, 'जब खुद मुख्यमंत्री ने ये कहा कि उनकी सचिन से डेढ़ साल में कोई बातचीत नहीं हुई है, तो यह स्थिति अपने आप सारी कहानी बयां करती है.' केंद्रीय जलशक्ति मंत्री शेखावत ने कहा, 'विधायकों को जैसलमेर में एक किले में ले जाना साफ बताता है कि मुख्यमंत्री अपने विधायकों पर भरोसा नहीं करते. कोरोना संकट का समाधान निकालने की बजाय वह अपना घर ठीक करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. मौजूदा परिस्थिति यह भी दर्शाती है कि सरकार अल्पमत में है.' उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य ये है कि कांग्रेस की अंदरूनी कलह के चलते प्रदेश की मासूम जनता को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.

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